जगदलपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा :- शहर में लगातार कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. पॉजिटिव मरीजों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. ऐसे में पॉजिटिव मरीज के घर और पूरे कंटेनमेंट जोन को सैनिटाइज करने की जिम्मेदारी जगदलपुर नगर निगम के पास है. निगम अपनी पूरी तैयारी दिखा रहा है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बजट से लेकर पर्याप्त संसाधनों की बात कहने वाले नगर निगम ने पूरे शहर के सैनिटाइजेशन के लिए सिर्फ तीन कर्मचारियों की ही ड्यूटी लगाई है. जो रोजाना 10-10 घंटे अपनी सेवा दे रहे हैं.
नगर निगम आयुक्त प्रेम कुमार पटेल का कहना है कि कोरोना काल में सैनिटाइजेशन के लिए निगम को बस्तर कलेक्टर ने DMF फंड से 10 लाख रुपये जारी किया है. इसके अलावा राज्य सरकार और अन्य जगह से भी कुछ फंड आया है. सैनिटाइजेशन के लिए WHO से प्रमाणित हाइड्रोक्लोरीन समेत अन्य केमिकल को पानी में मिलाकर इसका छिड़काव किया जा रहा है. निगम के पास केमिकल का स्टॉक पर्याप्त है. हालांकि कर्मचारियों की कमी की बात आयुक्त ने भी स्वीकार की है.
सैनिटाइजर का छिड़काव
कर्मचारियों को नियमित करने की मांग
सैनिटाइजेशन के लिए तीन कर्मचारी और एक ड्राइवर सुबह से लेकर देर रात तक सैनिटाइजेशन के काम में लगे रहते हैं. कम संख्या के बाद भी कर्मचारी 10-10 घंटे अपनी सेवा दे रहे हैं. ETV भारत ने जब इन कर्मचारीयो से ऑफ द कैमरा बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें फिलहाल 9 हजार रुपये वेतन मिलता है. इस दौर में ज्यादा काम को लेकर उन्हें किसी तरह का अतिरिक्त वेतन या राशि नहीं मिलती है. वह चाहते हैं कि उन्हें नियमित किया जाए. साथ ही वेतन भी बढ़ाया जाए.
सैनिटाइजेशन करता कर्मचारी
जिला प्रशासन की मदद ले रहा नगर निगम
आयुक्त ने बताया कि शहर में बड़े पैमाने पर सैनिटाइजेशन के दौरान नगर निगम एसडीआरएफ की भी मदद लेता है. इससे बड़े क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन करने में मदद मिलती है. लेकिन शहर के ज्यादातर इलाकों में इन तीन कर्मचारियों के भरोसे ही सैनिटाइजेशन का काम किया जाता है. इन निगम कर्मचारियों के भरोसे शहर के सभी सरकारी कार्यालयों, कंटेनमेंट जोन और कोरोना पॉजिटिव आने वाले लोगों के घरों में सैनिटाइजेशन का काम किया जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकारी तो फंड होने का दावा कर रहे हैं लेकिन कर्मचारियों की जरुरत होने के बाद भी अब तक दूसरे कर्मचारियों को इस काम में नहीं लगाया गया है. ऐसे में निगम के कोरोना महामारी से लड़ने के दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं.