कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):-मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से जिले की महिलाएं और बच्चे कुपोषण से मुक्त हो रहे हैं। योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले पौष्टिक आहार स्वादिष्ट होने के साथ महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से मुक्ति भी दिला रहे हैं। विकासखंड कटघोरा के ग्राम देवरी निवासी श्रीमती रामेश्वरी यादव के दोनों जुड़वा बच्चे मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत लाभान्वित होकर कुपोषण से मुक्त हो गए हैं। जन्म के समय कम वजन के साथ पैदा हुए दोनों जुड़वा बच्चे समीर और समीरा अब सामान्य और मध्यम श्रेणी में आ गए हैं। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत जुड़वा बच्चों के जन्म के पहले से ही श्रीमती रामेश्वरी को आंगनबाड़ी के माध्यम से पौष्टिक रेडी-टू-ईट भोजन दिया गया। रामेश्वरी के द्वारा बच्चों को जन्म देने के पश्चात शिशुवती होने के कारण उन्हें आंगनबाड़ी के माध्यम से गर्म पका भोजन भी दिया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा रामेश्वरी को समय-समय पर पौष्टिक आहार लेने और स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए भी प्रेरित किया गया। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत दिए गए स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक आहार और स्वास्थ्य सलाह से रामेश्वरी और उनके जुड़वा बच्चे कुपोषण से मुक्त हो चुके हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास कोरबा ने बताया कि एकीकृत बाल विकास परियोजना कटघोरा के सेक्टर चाकाबुड़ा में आंगनबाड़ी केंद्र देवरी के अंतर्गत श्रीमती रामेश्वरी यादव गर्भावस्था से ही आंगनबाड़ी सेवाओं का लाभ ले रही थी। गर्भावस्था में सोनोग्राफी जांच में पता चला कि रामेश्वरी को जुड़वा बच्चा है। डॉक्टरों द्वारा रामेश्वरी को अतिरिक्त देखभाल एवं खान-पान पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया। रामेश्वरी प्रतिदिन आंगनबाड़ी में आकर पौष्टिक भोजन व रेडी-टू-ईट का सेवन करने लगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बताए अनुसार प्रतिदिन वह ऊपरी आहार के रूप में दिन में चार बार भोजन करने लगी। रामेश्वरी को समय-समय पर पर्यवेक्षकों द्वारा गृह भेंटकर प्रसव पूर्व तैयारी एवं संस्थागत प्रसव कराने की भी सलाह दी गई। रामेश्वरी गर्भावस्था के आखिरी चरणों में प्रसव के लिए कोरबा आ गई। जिला चिकित्सालय कोरबा में उन्होंने प्रसव के दौरान दो जुड़वा बच्चों के रूप में एक बालक और एक बालिका को जन्म दिया। जन्म के समय बालक समीर का वजन 1 किलो 500 ग्राम और बालिका समीरा का वजन 2 किलोग्राम था। दोनों बच्चों का वजन कम होने के कारण वे कुपोषित हो गए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा नियमित रूप से गृह भेंट कर रामेश्वरी को बच्चों को सिर्फ मां का दूध पिलाने और अपने भोजन पर विशेष ध्यान देने के लिए परामर्श दिया गया। इस दौरान रामेश्वरी को शिशुवती होने के कारण आंगनबाड़ी केंद्र में टी. एच. आर. और गर्म पका भोजन दिया गया। साथ ही बच्चों की देखभाल के लिए परिवार वालों को पोषण व स्वास्थ्य के बारे में सलाह भी दिया गया। परिवार वाले बच्चे और रामेश्वरी के खान-पान के प्रति जागरूक हुए और उनके खानपान पर विशेष ध्यान दिए। आंगनबाड़ी से दी जाने वाली गर्म भोजन एवं रेडी-टू-ईट फूड, चिक्की के साथ बच्चों का टीकाकरण एवं हर 15 दिन में वजन किया गया। वर्तमान में अब दोनों बच्चे सामान्य एवं मध्यम श्रेणी में आ गए हैं और स्वस्थ हैं। बालक समीर वर्तमान में 10 किलोग्राम और बालिका समीरा 8 किलो 800 ग्राम की है। पोषण स्तर के अंतर्गत बालक समीर सामान्य एवं बालिका समीरा मध्यम श्रेणी में हैं।