झूठ फरेब एवं भ्रष्टाचार के तांडव के बवंडर में फंसा वन मंडल कटघोरा, वन मंडल अधिकारी ने विधानसभा में झूठी जानकारी देकर सबको चौंकाया, डीएफओ एवं वन परीक्षेत्र अधिकारी पर के गिर सकती है कार्रवाई की गाज..

कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना:-चर्चित और विवादित कार्यशैली की वजह से अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाले कटघोरा वनमंडल का एक ताजा और हैरान कर देने वाला कारनामा सामने आया है. वनमंडल ने खुद के अफसरों को बचाने के लिए अपने ही मंत्रालय को गलत और अधूरी जानकारी प्रेषित कर दी. इस जानकारी में जरूरी तथ्यों को ना सिर्फ छिपाया गया बल्कि जिस निर्माण कार्य पर गंभीर सवाल उठ रहे थे उसे ही अफसरों ने गायब कर दिया. इस बारे में जब हमने वनमंडल के जिम्मेदार अफसरों से जानकारी चाही तो कोई भी इस पर चर्चा करने को तैयार नहीं हुआ. जाहिर है भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे कटघोरा वनमंडल के अधिकारियों पर अब सीधे-सीधे शासन को ही गुमराह करने का आरोप लग रहा है.

क्या है मामला?

दरअसल छग विधानसभा के शीत सत्र में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने वन मंत्रालय से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा था. तारांकित प्रश्न क्रमांक 354 में धरमलाल कौशिक ने शासन के वनमंत्री मो. अकबर से बिलासपुर संभाग अंतर्गत कटघोरा वनमंडल के जटगा वनपरिक्षेत्र में हुए सभी स्टॉप डेम से जुड़ी जानकारी चाही थी. प्रश्न के माध्यम से उन्होंने जटगा परिक्षेत्र में हुए स्टॉप डेम निर्माण की संख्या, उनकी लागत, मौजूदा स्थिति और मद की जानकारी चाही थी. इन्ही सवालों के जवाब में वनमंडल ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपा दिया. उन्होंने ना सिर्फ स्टॉप डेम की संख्या कम बताई बल्कि जिस स्टॉप डेम की वजह से विपक्ष का ध्यान इस ओर गया था उस स्टॉप डेम को ही विभाग ने अपने प्रेषित जवाब से गायब कर दिया.

दरअसल सत्र 2019-2020 में कटघोरा वनमंडल के जटगा वनपरिक्षेत्र अंतर्गत कैम्पा मद से कुल 14 स्टॉप डेम स्वीकृत किये गए थे. वही 2020-21 में चार और स्टॉपडेम को वन मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान की थी. इसके तहत सभी 18 डेम की लागत राशि करीब 8 करोड़ रूपये आंकी गई थी. इनमे से ज्यादातर का निर्माण अभी भी अधूरा है जबकि एक स्टॉप डेम जो की आर.ए. 194 सोढ़ीनाला क्रमांक 06 में 2019 में ही पूर्ण हो चुका था वह पहली ही बारिश में बह गया. इसके पश्चात विभाग ने उक्त निर्माण कार्य का पुनः मरम्मत कराया लेकिन यह मरम्मत भी काम नहीं आया और डेम पूरी तरह धराशायी हो गया. चूंकि इस निर्माण में भारी भ्रष्टाचार सामने आया था इसकी शिकायत अलग-अलग माध्यम से की जाती रही थी. चूंकि उक्त निर्माण में लगे मजदूरों और मटेरियल सप्लायर्स की भी राशि अब तक अटकी हुई है इसलिए वे भी पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अपनी शेष राशि की मांग कर रहे थे.

इन्ही शिकायतों का पुलिंदा जब विपक्ष के कानो तक पहुंचा तो इस बड़ा मुद्दा बनाते हुये विपक्ष ने विधानसभा के पटल पर यह सवाल सरकार से पूछा था. वनमंडल को तब चाहिए था की वह इन प्रश्नो की सही-सही जानकारी शासन को भेजे लेकिन उन्होंने उक्त नाले से जुड़ी जानकारी ना सिर्फ छिपाई बल्कि जवाबो को सूची से ही उस निर्माण को गायब कर दिया ताकि गड़बड़ी का यह मामला सामने ना आ सके. यह बात जैसे ही पीड़ित सप्लायर्स को पता चली तो वे भी अवाक रहे गए. उनका कहना है की इस स्टॉप डेम की जानकारी यदि छिपा दी गई है इसका मतलब है की यह निर्माण कराया ही नहीं गया है और यदि ऐसा हुआ तो उन्हें उनका बकाया पैसा कभी भी नहीं मिल पायेगा.

अब सवाल यह उठता है की आखिर वनमंडल ने अपने ही मंत्रालय को इस 18वे बह चुके स्टॉप डेम की जानकारी वनमंत्रालय को क्यों नहीं दी? दूसरा बड़ा सवाल की जिस कार्य का मटेरियल सप्लाई वर्क ऑर्डर जारी हुआ था जिसका पत्र क्रमांक/2019-403 दिनांक 11/04/2019 था उसे सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया?

गौरतलब है की निर्माण की संख्या 18 थी जबकि जवाब में महज 17 स्टॉप डेम की जानकारी विधानसभा के पटल पर रखी गई है. विभाग ने बड़ी चालाकी से आरए 194 सोढ़ीनाला क्रमांक 06 के स्टॉप डेम जिसकी लागत 48 लाख रूपये थी और जो दो बार निर्मित होकर अब पूरी तरह बह चुका है उसका जिक्र ही नहीं किया.

मामले की पड़ताल के लिए जब हमने मौके का जायजा लिया तब कई ऐसे मजदूर सामने आये जिन्होंने निर्माण की पुष्टि करते हुए अपनी आप बीती हमारे सामने रखी. मौके पर अब भी स्टॉप डेम का बह चुका मलबा मौजूद है. गाँव वालो में इसे लेकर भारी नाराजगी है. हालांकि निर्माण के दौरान वहां पदस्थ रहे परिक्षेत्राधिकारी, उप परिक्षेत्राधिकारी और बीटगार्ड का अब तबादला हो चुका है और वे इस निर्माण से पल्ला झाड़ रहे है.

ग्राम सरपंच के पति, वन प्रबंधन समिति के प्रमुख और पूर्व सरपंच ने भी आरए 194 सोढ़ीनाला क्रमांक 06 में स्टॉपडेम निर्माण की पुष्टि की है. उन्होंने बताया की यह पूरा निर्माण जटगा के पूर्व वनपरिक्षेत्राधिकारी मोहर सिंह मरकाम व उप क्षेत्राधिकारी बजरंग डड़सेना एवं बीटगार्ड प्रद्युमन सिंह तंवर के द्वारा कराया गया था. इनमे वह किसान भी शामिल है जिनकी खेतिहर जमीन इस स्टॉपडेम की जद में आकर बह चुका है. उक्त किसान भी पिछले दो वर्षो से अपने जमीन के एवज में मुआवजे की गुहार लगा रहा है.

हमने इस पूरे मामले पर अधिक और स्पष्ट जानकारी के लिए वनमंडल की अधिकारी शमां फारूकी से सम्पर्क का प्रयास किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. कटघोरा वन मण्डल के सभी जिम्मेदार अधिकारीयों इस मामले में जवाब देने से बचते नज़र आये, इसके पश्चात बिलासपुर वृत्त के नवनियुक्त मुख्य वन संरक्षक नावीद शुजाउद्दीन से हमारी चर्चा हुई. उन्होंने बताया की चूंकि यह उनका नया कार्यक्षेत्र है लिहाजा वे मामले की तफ्तीश और अफसरों से चर्चा के बाद ही कुछ कह सकेंगे. हालांकि शुजाउद्दीन ने यह भी कहा की यह पूरा मामला गंभीर प्रतीत होता है.

छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक से जब इस विषय पर जानकारी दी गई कि आपके द्वारा विधानसभा में पूछे गए सवालों में कटघोरा वनमंडल द्वारा झूठी जसनकारी दी गई है तो उन्होंने कहा कि यदि इस तरह की झूठी जानकारी विभाग द्वारा दी गई है तो इसकी पूरी जांच कराकर उक्त कार्य में लिप्त अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाएगी. लोकतंत्र के मंदिर में झूठी जानकारी देना पूरी तरह गलत है और ऐसे भृष्टाचार में अधिकारियों को नही छोड़ा जाएगा.