सरगुजा (सेंट्रल छत्तीसगढ़): सरकार शासकीय भवनों, अस्पताल, सड़क और स्कूल बनाने के लिए जमीन का रोना रोती है, किसी भी बड़े प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिये सबसे अहम दिक्कत स्थान के चयन की ही होती है. मतलब प्रशासन के पास शासकीय जमीन (Government Land) का टोटा रहता है, लेकिन दूसरी ओर सिर्फ एक ही जिले में लोग 25 हजार हेक्टेयर शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा (Illegal occupation of government land) किये हुए हैं.
सरगुजा में शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा
ये आंकड़े तब सामने आये जब वन अधिकार पत्र लेने के लिये लोगों में होड़ मची और हर कोई वन अधिकार पत्र (Forest Charter) पाने के लालच में प्रशासन को खुद ही यह यह बता गया कि वह इतनी शासकीय भूमि पर कब्जा जमाये हुये है. इस भूमि का अधिकार पत्र मांगने वाले लोगों के आवेदन प्रशासन ने निरस्त कर दिये हैं. ये सभी अवैध रूप से जमीन पर काबिज हैं, लेकिन इतने बड़े भू खंड से क्या कब्जा हटाया जा सकेगा, फिलहाल सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश सोनी ( Social Activist Dinesh Soni) ने इस अवैध कब्जे को हटाने की मांग की है.
48 हजार लोगों ने किया आवेदन
दरअसल सरगुजा में वन अधिकार पत्र पाने की होड़ में 48 हजार लोगों ने आवेदन कर दिया, लेकिन सिर्फ 314 आवेदन ही पात्र पाये गये और 720 आवेदन पर जांच होना बाकी है. यानी 47 हजार आवेदन अपात्र पाए गये. आवेदन के बाद ये सभी 48 हजार आवेदन अपात्र कर दिए गए थे, लेकिन पुनरीक्षण में जब टीम ने मौके पर जाकर आकलन का काम किया, तो 47 हजार आवेदन की 25 हजार हेक्टेयर भूमि पाई गई. जिनके आवेदन अपात्र कर दिए गए हैं, इनमें से ज्यादातर जमीन गोचर, निस्तार, समेत अन्य मद की भूमि पर लोगों में कब्जा किया है और अब उस पर अपना मालिकाना हक मांग रहे हैं.
सरगुजा में 25 हजार हेक्टेयर शासकीय भूमि पर अवैध कब्जाजमीन पर अवैध रुप से काबिज लोगों पर करेंगे कार्रवाईअब सवाल यह है कि सरकार के पास अपने प्रोजेक्ट के लिये जमीन नहीं होती है और लोग 25 हजार हेक्टेयर में एक ही जिले में कब्जा कर बैठे हैं. ऐसे में सरकार इस कब्जे को कैसे हटाएगी. इस सवाल का जवाब हमने पूछा सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा से तो उन्होने बताया कि, अभी इसमें दावा आपत्ति का समय बचा हुआ है जो भी लोग अपात्र हैं वो आपत्ति कर सकते हैं. फिर से निरीक्षण करा सकते हैं. कलेक्टर ने यह भी कहा कि जो अवैध रूप से काबिज हैं उन पर फिर कार्रवाई के लिए योजना बनाई जाएगी.
बहरहाल जब एक निरीक्षण और आपत्ति के बाद पुनरीक्षण में भी 47 हजार लोग पात्र नहीं हो पाए, तो तीसरी बार जांच करा कर वो कैसे पात्र हो जाएंगे. इनमें से दो चार आवेदन पात्र हो भी गये तो भी क्या फर्क पड़ेगा. कब्जा तो 25 हजार हेक्टेयर पर है. इसे हटाने की दिशा में आज नहीं तो कल सोचना ही पड़ेगा.