मध्यप्रदेश की राजधानी है भोपाल. वहां शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं. पिछले 12 साल से ज्यादा वक्त तक से मुख्यमंत्री हैं. प्यार से लोग उन्हें मामाजी कहते हैं. लेकिन इस मामाजी के राज में कुछ महिलाएं इतनी परेशान हैं कि उन्होंने विरोध में अपना सिर मुंडवा लिया है. ये महिलाएं पेशे से शिक्षक हैं, जो अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं.
दरअसल ये महिलाएं शिक्षक तो हैं, लेकिन अस्थाई हैं. मध्यप्रदेश में कुल 2.88 लाख ऐसे टीचर हैं, जो अस्थाई हैं. ये पिछले कई साल से खुद को स्थायी करने, नियमित शिक्षकों के समान दर्जा पाने और सातवां वेतन आयोग लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. 13 जनवरी को भी इन लोगों ने भोपाल में प्रदर्शन किया. प्रदर्शन भेल इलाके के जम्बूरी मैदान में हुआ था, जहां हजारों महिला-पुरुष शिक्षक अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे थे. अपनी मांगे न सुने जाने से परेशान महिला शिक्षक शिल्पी सिवान, रेणु सागर, सीमा क्षीरसागर और अर्चना शर्मा ने अपने सिर मुंडवा लिए. उनके अलावा सैकड़ों शिक्षकों ने भी अपने सिर मुंडवा लिए. आज़ाद अध्यापक संघ के बैनर तले विरोध कर रहे इन शिक्षकों ने कहा कि हम इन महिला शिक्षकों के सिर के बाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह को देना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें मुख्यमंत्री आवास तक नहीं जाने दिया. संघ के कार्यकारी अध्यक्ष शिवराज वर्मा ने कहा कि शिक्षा विभाग हमें कहता है कि हम स्थानीय निकाय के कर्मचारी हैं, जबकि स्थानीय निकाय विभाग कहता है कि हम शिक्षा विभाग के कर्मचारी हैं. हम इतने दिनों से सरकार के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमें ये तक नहीं बता पा रही है कि हम किसके कर्मचारी हैं.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक इन शिक्षकों को प्रदर्शन करने के लिए जंबूरी मैदान को किराए पर लेना पड़ा था. इसका किराया 1.43 लाख रुपये थे, जिसके लिए इन लोगों ने अपने जेवर गिरवी रख दिए हैं. महिलाओं का कहना है कि उन्होंने अपने सिर मुंडवा लिए हैं. अब वो 21 जनवरी को नर्मदा नदी में सरकार का पिंडदान करेंगी. वहीं महिला शिक्षकों के समर्थन में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के छात्रों ने भी 14 जनवरी को मुंडन करवा लिया. मध्यप्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ था जब महिला शिक्षकों ने सिर मुंडवाकर विरोध जताया.