विश्व हाथी दिवस: दो विभागों के लड़ाई के बीच गजराज को चढ़ा रहे बलि ,करंट से 15 हाथियो की हुई मौत.

रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़): विश्व हाथी दिवस के बीच अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट जारी की है. रेज जोन में हाथी छत्तीसगढ़ में दो विभागों के बीच 1674 करोड़ रुपए की लड़ाई में फंस कर बिजली करंट से जान गवा रहे हैं. कुछ दिन पहले जशपुर क्षेत्र में एक ओर हाथी की बिजली करंट से मौत हो गई थी.

दो विभागों की लड़ाई के बीच फंसे हाथीहाथियों की मौत के मामले में वन और विद्युत विभाग भरपूर कर रहा है पत्राचारकुछ दिन पहले हाती जशपुर के तपकरा वन क्षेत्र के पास वन विभाग की टीम अलर्ट पर रहती तो हाथी को मौत से बचाया जा सकता था. सिंघवी ने इसे वन विभाग की लापरवाही बताया है. इतना ही नहीं 2018 से लेकर अब तक करंट की वजह से 15 हाथियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. हालांकि इस दौरान बनवा भरपूर पत्राचार कर रहा है. इस पत्राचार में वन विभाग की ओर से कोई कमी नहीं की गई है. भले ही हल कुछ ना निकला हो.इस समस्या से मंत्रालय को भी कराया गया है अवगतहालांकि करंट से हाथियों की मौत के मामले में सरकार के ढीले ढाले रवैया को लेकर सिंघवी ने कुछ नहीं कहा. लेकिन यह जरूर कहा कि उनके द्वारा वन और विद्युत विभाग सहित मंत्रालय को भी इससे संबंधित जानकारी दी गई है. जिसके बाद वन ओर विद्युत विभाग के बीच मंत्रालय स्तर पर भी भरपूर पत्राचार चल रहा है. सिंघवी ने बताया कि जंगल से गुजरने वाले तारों को जल्द ऊपर नहीं किया गया तो आने वाले समय में और भी हाथियों की करंट लगने से मौत हो सकती है. इसे लेकर वन और विद्युत विभाग को तत्परता दिखानी होगी और तत्काल कोई बड़ा कदम उठाते हुए इस समस्या का समाधान करना होगा.करंट से हो रही मौत के लिए लगाई गई जनहित याचिकाछत्तीसगढ़ में करंट से हो रही हाथियों की मौत के मामले में साल 2018 में जनहित याचिका लगाने वाले रायपुर के नितिन सिंघवी ने मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने करंट से हाथियों की हो रही मौत को रोकने उचित कदम उठाने की मांग की है. छत्तीसगढ़ में साल 2018 में हाथियों की करंट से मौत के संबंध में दायर जनहित याचिका के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने हाथियों को मौत से बचाने के लिए 810 किलोमीटर 33 केवी, 3761 किलोमीटर 11 केवी लाइन की ऊंचाई बढ़ाकर कवर्ड कंडक्टर लगाने और 3976 किलोमीटर निम्न दाब लाइन में एबी केबल लगाने के लिए वन विभाग से 1674 करोड़ रुपए की मांग की थी.भारत सरकार ने विद्युत कंपनी को तार ऊपर करने लिखा पत्रवन विभाग ने भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से इस राशि की मांग की जवाब में भारत सरकार ने जून 2019 में वन विभाग को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया कि विद्युत लाइनों का सुधार कार्य करना व कंडक्टर लगाना यह सभी कार्य विद्युत वितरण कंपनी के हैं और उन्हें अपने बजट से इसे पूरा करना है सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्णयों का हवाला देते हुए भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लिखा कि अगर वितरण कंपनी इस कार्य में फेल होती है तो दोषियों के विरुद्ध वन्य जीव वन संरक्षण अधिनियम इंडियन पेनल कोड और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएहम पर नहीं लागू होते सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश : विद्युत वितरण कंपनीभारत सरकार के निर्देश मिलने के बाद वन विभाग ने तत्काल विद्युत लाइनों में 1674 करोड़ों के कार्य अपने बजट से करने के लिए वितरण कंपनी को लिखा. जिसके जवाब में वितरण कंपनी ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश छत्तीसगढ़ राज्य पर लागू होना नहीं माना जा सकता और लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने कवर कंडक्टर और केवल लगाने के लिए 1674 करोड़ रुपए देंगे तभी सुधार कार्य हो सकेगा.अधिकारी गहन निद्रा में सोए, परंतु जारी है दोनों विभागों में पर पत्राचारसाल 2018 में दायर जनहित याचिका का निराकरण करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिका का निराकरण करने का यह मतलब नहीं निकाला जाए कि अधिकारी गहन निद्रा में चले गए हैं. चालू किए गए अच्छे कार्य जारी रहने चाहिए अगर अधिकारियों के खुद के लिए नहीं तो आने वाली पीढ़ियों के लिए अच्छे कार्य होने चाहिए.3 वर्ष बाद भी नहीं हुआ कोई काम, पर कगजी कार्रवाई है जारीसिंघवी ने बताया कि 3 वर्ष हो गए हैं परंतु वितरण कंपनी 1674 करोड़ रुपए के कार्य नहीं करा रही है और हाथी मर रहे हैं. लेकिन इस बीच में दोनों विभाग कागजी खानापूर्ति में कोई कमी नहीं कर रहे हैं. वन विभाग स्मरण पत्र प्रमाण पत्र जारी कर रहा है और वितरण कंपनी 1674 को रुपए की मांग कर रही है.वैधानिक सीमा में रहकर कार्य करें वन विभाग के मैदानी अधिकारी : वितरण कंपनीभारत सरकार पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से निर्देश मिलने के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी ने अपने समस्त अधीनस्थों को जून 2019 में आदेश दिया है. इस आदेश में वन्य प्राणियों खासकर हाथी, भालू, तेंदुआ आदि की विद्युत करंट से मृत्यु होने के कारण विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों के विरुद्ध वन्य जीव संरक्षण अधिनियम इंडियन पेनल कोड और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर कोर्ट में चालान प्रस्तुत करें.करंट से हाथी की मौत के मामले में की गई थी कानूनी कार्रवाईजून 2020 में रायगढ़ के गेरसा में अवैध विद्युत कनेक्शन से एक हाथी की मृत्यु होने के बाद धर्मजयगढ़ संभाग के सहायक यंत्री और अन्य विभागीय कर्मचारियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भी भेजा गया.वन विभाग के मैदानी अधिकारियों को वैधानिक सीमा में रहकर कार्य करने के दें शीघ्र निर्देशइस पर विद्युत वितरण कंपनी ने प्रमुख सचिव वन विभाग छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 एवं अधिसूचना दिनांक 13 अप्रैल 2015 का हवाला दिया है. उन्होने कहा कि वन विभाग के मैदानी अधिकारियों को वैधानिक सीमा में रहकर कार्य करने के शीघ्र निर्देश दें. विद्युत वितरण कंपनियों ने कहा कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों की लाइनों में स्वयं के संसाधनों से सर्वेक्षण कराकर बहुत से कार्य किए जा चुके हैं परंतु अगर आवश्यक राशि का भुगतान शासन अथवा वन विभाग द्वारा नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में वन विभाग की मंशा के अनुसार कार्य कर पाना संभव नहीं हो सकेगा.हाथियों की सुरक्षा को लेकर पक्ष विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारीवह इस पूरे प्रकरण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. जहां एक और विपक्ष हाथियों की सुरक्षा को लेकर सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा रही है. वहीं दूसरी ओर सत्तापक्ष हाथियों की सुरक्षा को लेकर कटिबद्ध होने की बात कह रही है