कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):- एकलौते पुत्र के सिर से पिता का साया उठ जाने से जो दुःख, तकलीफ और आर्थिक विपत्तियां सामने आती है, उसे राहुल से अच्छा और कौन जान सकता है। सड़क दुर्घटना से पैरों में विकृति और अपनी आवाज खो देने वाले राहुल पर अचानक उनके पिताजी की मृत्यु से दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। स्वयं दिव्यांग तथा माताजी बीपी-शुगर की मरीज, ऐसे में घर को संभालना और जिंदगी को आगे बढ़ाना मानो छेदयुक्त नांव में नदी पार करने जैसा हो गया था। पुलिस विभाग में प्रधान आरक्षक के पद में कार्यरत राहुल के पिताजी की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हो गई थी। उनकी माताजी को मिलने वाली पेंशन की राशि स्वयं के ईलाज और माताजी के ईलाज में डूबते को तिनके का सहारा साबित हो रहा था। राहुल ने पुलिस विभाग में अपने दिवंगत पिताजी के बदले अनुकंपा नियुक्ति के लिए प्रयास किया। एक्सीडेंट के कारण शारीरिक विषमता आने से पुलिस विभाग द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुरूप राहुल की अनुकंपा नियुक्ति नहीं हो पाई। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा दिवंगत शासकीय कर्मचारियों के आश्रितों को शीघ्र अनुकंपा नियुक्ति दिलाने के निर्देश के तहत जिला प्रशासन द्वारा राहुल को अन्य विभागों में अनुकंपा नियुक्ति दिलाने के लिए प्रयास किया गया। संवेदनशीलता दिखाते हुए सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग श्री एस. के. वाहने ने राहुल के प्रकरण को राज्य शासन के समक्ष प्रस्तुत कर मार्गदर्शन लिया। राज्य शासन द्वारा अनुमति मिलते ही राहुल को आदिवासी विकास विभाग कोरबा द्वारा आदिवासी बालक आश्रम पोड़ी-उपरोड़ा में भृत्य पद पर पदस्थ करने नियुक्ति आदेश जारी किया गया है। आज कलेक्टर श्रीमती साहू ने राहुल को उनकी माताजी श्रीमती प्रेमलता मिश्रा की मौजूदगी में नियुक्ति पत्र प्रदान किया। कलेक्टर ने बधाई देते हुए राहुल को पूरी निष्ठा के साथ कर्तव्य निर्वहन करने को कहा। इस दौरान सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री वाहने भी मौजूद रहे।
अपने माता-पिता के इकलौते संतान और दिव्यांग होने तथा माँ की तबियत अक्सर खराब रहने के कारण राहुल स्वयं और अपनी माँ का अच्छे से देखभाल नहीं कर पाता है। राहुल और उनकी माँ की देखरेख श्रीमती प्रेमलता की बहन का दामाद श्री मनबोध प्रसाद साहू कर रहे हैं। श्री मनबोध ने बताया कि राहुल के पिता स्वर्गीय चमरू राम मिश्रा प्रधान आरक्षक के पद में बांगो बटालियन में पदस्थ थे। मूल निवासी जांजगीर-चांपा जिला के मड़वा-नवापारा गांव है। राहुल और उनकी माँ 20 साल से रायपुर के ईमलीडीह में किराये के मकान में निवास कर रहे है। 28 वर्षीय राहुल ग्यारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई किया हुआ है। सन् 2010 में सड़क दुर्घटना के कारण राहुल के पैरों में विकृति आ गई और मुंह से आवाज निकलना भी बंद हो गया। सन् 2015 में राहुल के पिताजी की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हो गई थी। श्री मनबोध ने बताया कि राहुल और उनकी मां के ईलाज में प्रतिमाह सात से आठ हजार सिर्फ दवाईयों में खर्च हो जाते हैं। राहुल की मां ने बताया कि दुःख की इस घड़ी में प्रशासन के विशेष प्रयास से राहूल को अनुकंपा नियुक्ति मिल पाई है। परिवार को चलाने और दवाईयों के खर्च उठाने में अब अच्छे से सहयोग मिल पाएगी। श्रीमती प्रेमलता ने अनुकंपा नियुक्ति मिलने पर शासन का आभार जताया है।