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गरियाबंद (सेंट्रल छत्तीसगढ़): मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजिम में आयोजित राजिम भक्तिन माता जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राजिम महोत्सव की शुरुआत से एक नव चेतना का प्रारंभ हुआ है. उन्होंने कहा कि राजिम को केवल एक शहर के रूप में नहीं बल्कि राज्य के सांस्कृतिक विरासत के रूप में देखना चाहिए. यहां केवल नदियों का ही नहीं बल्कि विचारधाराओं का संगम होता है.
इस अवसर पर उन्होंने 3 बड़ी घोषणाओं का एलान किया.उन्होंने राजिम माता शोध संस्थान के लिए 5 एकड़ जमीन देने की घोषणा की है. फिंगेश्वर के नवनिर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का नामकरण भक्तिन माता राजिम के नाम पर किया जाएगा. सीएम ने राजिम में निर्माणाधीन धर्मशाला निर्माण के लिए 50 लाख रूपए की मंजूरी की भी घोषणा किया है.
राजिम माता के त्याग की कथा प्रचलित
राजिम महानदी के तट पर स्थित है. यहां ‘राजिम’ या ‘राजीवलोचन’ भगवान रामचंद्र का प्राचीन मंदिर है. राजिम का प्राचीन नाम पद्मक्षेत्र था. यहां महानदी और पैरी नदियों का संगम है. संगम स्थल पर ‘कुलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदर है. इस मंदिर का संबंध राजिम की भक्तिन माता से है. यहां राजिम माता के त्याग की कथा प्रचलित है और भगवान कुलेश्वर महादेव का आशीर्वाद इस क्षेत्र को प्राप्त है. इसी कारण राजिम भक्तिन माता जयंती 7 जनवरी को राजिम भक्तिन माता की याद में मनाई जाती है.
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