बिलासपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : आज सैकड़ों की संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचकर साउंड सर्विस और डीजे संचालकों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया, लॉकडाउन के कारण लगभग 5 महीने से कामकाज पूरी तरह बंद होने से साउंड सर्विस का काम करने वाले और डीजे का कारोबार करने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
साउंड एवं बैंड पार्टी बिलासपुर के अध्यक्ष नासिर खान ने कहा कि अनलॉक की प्रक्रिया के तहत सभी क्षेत्रों में छूट दी जा रही है लेकिन साउंड सर्विस को अब तक यह छूट हासिल नहीं है। एक बड़ी वजह यह भी है कि इस दौरान शादी, विवाह से लेकर उत्सव और सभी सामाजिक कार्यों पर प्रतिबंध लग गया है, जिस कारण से इस वर्ग को काम मिलना ही बंद हो गया। यहां तक कि कड़े नियम कायदों के कारण इस बार सर्वजनिक गणेश उत्सव भी नहीं हुए जो इनके लिए बड़ा आर्थिक आधार हुआ करता था। जैसे हालात है उससे स्पष्ट है कि नवरात्र, दुर्गा पूजा में भी स्थिति बदलेगी नहीं। इसे देखते हुए सोमवार को बिलासपुर शहर में साउंड सर्विस का काम करने वाले और डीजे संचालक गवर्मेन्ट स्कूल मैदान गांधी चौक से इकट्ठा होकर रैली की शक्ल में कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां हाथों में तख्तियां लिए इन लोगों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए धरना प्रदर्शन आरम्भ कर दिया। साउंड सर्विस संघ का दावा है कि उन्हें शहर के नागरिकों और व्यापारियों का भी समर्थन है।
एक समय था कि उनके बगैर कोई कार्यक्रम संपन्न नहीं होता था, लेकिन 5 महीने से उनके पास कोई कामकाज नहीं है, लिहाजा परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है।
इस कार्य में संचालकों के अलावा सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी भी शामिल है उनके आगे भी आर्थिक संकट गहरा गया है। कर्मचारियों के वेतन के अलावा दुकान का किराया, बैंक कर्ज पटाना भी मजबूरी है, इसलिए अनलॉक की प्रक्रिया के तहत अब साउंड सर्विस संचालक और डीजे संचालक भी अपने लिए छूट की मांग कर रहे हैं। साथ ही इनका निवेदन है कि ऐसे सभी कार्यक्रमों में पर से प्रतिबंध हटा लिया जाए जहां इन्हें काम मिला करता था। इनका तर्क वाजिब है लेकिन अभी नहीं भूलना चाहिए कि फिलहाल प्रदेश में हर दिन 500 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और रोज बड़ी संख्या में मौतें भी हो रही है। भले ही आर्थिक दृष्टिकोण से व्यवसाय, वाणिज्य और उद्योग धंधों को छूट दी गई है लेकिन इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं, इसलिए अभी बड़े स्तर पर उत्सवों को अनुमति नहीं दी जा सकती, अगर उत्सव नहीं होंगे तो फिर साउंड सर्विस संचालक और डीजे संचालकों को काम नहीं मिलेगा, इतना तो तय है। केवल एक वर्ग के हित के लिए सभी के प्राणों के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता, इसलिए प्रशासन की भी अपनी मजबूरी है। इसलिए बीच का कोई मार्ग निकालना होगा जिससे कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। हालांकि जिला प्रशासन फिलहाल साउंड सर्विस संचालको को आश्वासन देने के मूड मैं नजर नहीं आ रहा लेकिन संख्या बल के साथ जिस तरह से डीजे संचालक संघ और साउंड सर्विस संचालक संघ ने अपनी बात रखी है उसे अनसुना करना भी जिला प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा।