( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): उत्तराखंड चार धामों में प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट आज शनिवार को भैया दूज पर्व पर वृश्चिक राशि अनुराधा नक्षत्र में समाधि पूजा-प्रक्रिया के बाद विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद किये गए.
बता दें कि बह्ममुहूर्त से कपाटबंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी. ऐसे में सुबह 6 बजे पुजारी बागेश लिंग ने केदारनाथ धाम के दिगपाल भगवान भैरवनाथ का आह्वान कर धर्माचार्यों की उपस्थिति में स्यंभू शिव लिंग को विभूति तथा शुष्क फूलों से ढककर समाधि रूप में विराजमान किया. वहीं, ठीक सुबह 8 बजे मुख्य द्वार के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिये गये. इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी रहे.
बर्फ की सफेद चादर ओढ़े केदारनाथ धाम से पंच मुखी डोली ने सेना के बैंड बाजों की भक्तिमय धुनों के बीच मंदिर की परिक्रमा कर विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ हेतु प्रस्थान किया. आज पंचमुखी डोली का रात्रिप्रवास अपने पहले पड़ाव रामपुर में होगा.जिसके बाद कल 7 नवंबर डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास हेतु पहुंचेगी. वहीं, 8 नवंबर को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली के पंच केदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ विराजमान हो जायेगी. जहां शीतकाल में श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन और पूजा अर्चना कर सकेंगे.गौरतलब है कि उत्तराखंड चारधामों में श्री गंगोत्री धाम के कपाट कल 4 नवंबर शीतकाल हेतु बंद हुए जबकि श्री यमुनोत्री धाम के कपाट आज दोपहर में बंद होंगे. वहीं, 20 नवंबर शनिवार भगवान बदरीविशाल के कपाट शीतकाल हेतु बंद होंगे. जिसके बाद 22 नवंबर भगवान मद्महेश्वर जी के कपाट बंद होंगे. वहीं, 25 नवंबर को उखीमठ में मद्महेश्वर मेला का आयोजन किया जाएगा. इस बार साढ़े चार लाख से अधिक तीर्थ यात्री चारधाम यात्रा के लिए पहुंचे थे. जिनमें से दो लाख चालीस हजार से अधिक लोगों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये.