कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़):- जहां एक और हमारा देश कोविड-19 की महामारी झेल रहा है वर्तमान स्थिति में हमारे देश की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो चुकी है और ट्रांसपोर्ट सेक्टर भी इससे अछूता नहीं रह गया काफी दयनीय स्थिति से गुजर रहे ट्रांसपोर्ट जगत को फाइनेंस कंपनियों के द्वारा लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है इसका एक जीता जागता उदाहरण वर्तमान में सामने आया है मामला छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले का है पाली निवासी रितेश जायसवाल के द्वारा वाहन क्रमांक CG 10 AN4417 अगस्त 2018 में हिंदूजा लीलैंड प्राइवेट फाइनेंस कंपनी से किस्तों पर लिया गया था जिसकी नियमित भुगतान की जा रही थी किंतु वर्तमान में कोविड-19 के चलते गाड़ियों का परिचालन ना होने के कारण कुछ किस्तो में चूक होने के कारण फाइनेंसर के द्वारा बलपूर्वक गाड़ी को लूट कर दूसरे राज्य में खड़ी कर ली गई है ! दिनांक 24/10/ 2020 को इस वाहन में अकलतरा से तमन्ना रोड केरियर के माध्यम से पीडीएस का चावल लोड कर गढ़वा खाली करने ले जाया जा रहा था पहले गाड़ी को अंबिकापुर में एक व्यक्ति के द्वारा रोका गया किंतु उसे वहां से छोड़ दिया किन्तु जैसे ही गाड़ी रामानुजगंज से छत्तीसगढ़ बॉर्डर पार करने के पश्चात झारखंड राज्य में प्रवेश करती है तब गढ़वा से लगभग20KMपहले सुनशान इलाके रंका में फैयाज आलम नामक व्यक्ति के द्वारा अपने 10-15 साथियों के साथ स्कॉर्पियो व अन्य वाहन में आकर अपने आपको फाइनेंस कंपनी का सीजर बताकर जो कि किशन भोजवानी के द्वारा मुझे भेजा गया है बोलकर गाड़ी के ड्राइवर हेमंत कुमार यादव व गाड़ी के मुंशी धनेश यादव को गाली गलौज करते हुए हाथापाई करने का प्रयास किया व जान से मारने की धमकी देकर बिना कोई वैद्य कारण या सूचना, बिना कोई वैद्य दस्तावेज दिखाए उक्त वाहन को 25/10/ 2020 की रात्रि करीब 8:30 बजे लूट कर ले गए !जब गाड़ी के मुंशी के द्वारा फोन पर सूचना प्राप्त हुई तो उक्त वाहन का रंका थाने में बिना किसी कारण या सूचना के साथ बिना कोई अपराध के अवैध रूप से खड़ा होना बताया गया फाइनेंस कंपनी के मैनेजर किशन भोजवानी,फैयाज आलम व 10-15 साथियो की मिलीभगत से अवैध रूप से पैसा उगाही की नियत से खड़ा कर लिया गया और उक्त थाने को ही कंपनी का यार्ड बताया गया जब मुंशी के द्वारा बार-बार आग्रह किया गया कि वाहन में सरकारी चावल जो की अति आवश्यक सामग्री है लोड है उन्हें जाने दे किंतु उनके द्वारा बार-बार गाली गलौज कर जान से मारने की धमकी देकर वहां से उन्हें भगा दिया गया घटना की जानकारी वाहन मालिक के द्वारा शासन व प्रशासन के उच्च अधिकारियों से की जा चुकी है किंतु इस ओर किसी भी प्रकार की उचित कार्यवाही ना होने से फाइनेंस कंपनियों के हौसले बुलंद है और इनके द्वारा गुंडागर्दी कर गाड़ियों को अवैध तरीके से अपने कब्जे में लेने से बाज नहीं आते हैं
पूर्व में कई बार इसी तरह के मामलों में प्राइवेट कंपनियों को न्यायालय के द्वारा कड़ी फटकार व सजा भी सुनाई जा चुकी है किंतु इस तरह बेखौफ होकर लूट व अपराध की घटना को अंजाम देना सोचने का विषय है!
जून 2020 में पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ के द्वारा आदेश जारी किया गया जिसमें फाइनेंस कंपनियों को साफ हिदायत दी गई कि अगर फाइनेंस कंपनी व उनके कर्मचारियों द्वारा बलपूर्वक वाहनों को सीज किया गया तो यह पूरी तरह कानून के विरुद्ध होगा डीजीपी डीएम अवस्थी ने सभी पुलिस महानिरीक्षको एवम सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को यह आदेश जारी किया कि यदि किसी क्रेता के द्वारा भुगतान में चूक होने पर फाइनेंस कंपनी व उनके कर्मचारियों के द्वारा जबरदस्ती उनके कब्जे से वाहन को ले जाया जाता है तो उनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 394 के तहत अपराध दर्ज की जाए
वर्तमान में कोविड-19 के महामारी के दौर में भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी सभी बैंको व प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों को सख्त हिदायत दी है कि किस्तों की भुगतान हेतु गुंडागर्दी या बलपूर्वक वसूली ना की जाए!
इस पूरे मामले में गाड़ी मालिक के द्वारा कंपनी को पूर्व में रिस्ट्रक्चर हेतु आवेदन दिया जा चुका था और कंपनी के मैनेजर के द्वारा पूरा भरोसा दिलाया गया था कि उनकी गाड़ी का लोन पुनः रीफाइनेंस हो जाएगी किंतु इस तरह धोखे में रखकर बिना किसी पूर्व सूचना के गाड़ी को लूटना समझ से परे है गाड़ी मालिक के द्वारा न्याय की मांग को लेकर शासन व प्रशासन के उच्च अधिकारियों के पास इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई है और न्याय की उम्मीद जताई गई है