प्राथमिक शाला में छात्र-छात्राओं से कराया जाता है मजदूरों जैसा काम, प्रधान पाठक का कहना है कि हाँ हम कराते हैं छात्र-छात्राओं से काम..ये जरूरी है..

कोरबा (शारदा प्रसाद पाल) कटघोरा : – अके तरफ जहां केंद्र सरकार और राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने भरसक प्रयास कर रही है, लेकिन उनके मातहत शिक्षक ही उनके मंसूबे पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं…..

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में से एक है शिक्षा, शासन द्वारा कई शासकीय स्कूलों का संचालन किया जाता है, लेकिन शासकीय स्कूलों के अध्यापक इन नन्हे मुन्ने बच्चों से मजदूर की भांति काम लेते हैं, और अब यह समाचार आम हो चुका हैं,क्योंकि जगह-जगह शिक्षकों के तानाशाह रवैया के शिकार बच्चे तथा स्कूलों की समस्याएं कई बार न्यूज़पेपर एवं समाचार चैनलों के माध्यम से दिखाया जा चुका है। लेकिन आज भी प्रशासन मूकदर्शक बने हुई है । आज ऐसा ही कुछ नजारा कटघोरा ब्लाक के ग्राम पंचायत जेन्जरा के पतरापाली प्राइमरी स्कूल में देखने को मिला, जहां शिक्षक मानो किसी जमीदार की तरह बच्चों से काम कराते हुए नजर आ रहे हैं। इन बच्चों के हाथों में जहां पुस्तक कापियां और पेन पेंसिल होनी चाहिए, इन हाथों मैं आज मिट्टी और पानी के मिलावट से तैयार की जाने वाली लेप दिखाई दे रहा है। विडंबना तो यह है कि स्कूल के प्रधानाचार्य विश्राम साय जी खुद कुर्सी में बैठ कर बच्चों को स्पष्ट रूप से आदेश करते हुए मजदूर की भांति काम लेते हुए नजर आ रहे हैं, और कीचड़ से लथपथ यह बच्चे पढ़ने के बजाय शिक्षक के तानाशाह रवैया के कारण कार्य करने को मजबूर नजर आ रहे हैं।जब हमने प्राचार्य महोदय से बात करनी चाही तो महोदय का कहना था कि स्कूल के लिए यह बच्चे काम करेंगे और करते रहेंगे, अब यह चिंतनीय विषय है कि बच्चे यहां अपने भविष्य गढ़ने और शिक्षा ग्रहण करने आते हैं ना की मजदूरी करने अब देखने वाली बात होगी कि राज्य में नई सरकार को पूरे 1 साल हो गए हैं। लेकिन शिक्षा व्यवस्था में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है। और ना ही शिक्षक इस बात को स्वीकार करने में संवेदनशील भी नजर नहीं आते। नतीजा यह है कि हमारे देश का भविष्य आज शिक्षकों की वजह से अंधकार में नजर आ रहा है, और यह खास बात है कि गाँव के सरपंच घर के महज 20 मीटर की दूरी का यह नजारा है। शिक्षक की तानाशाह इतनी है कि सरपंच भी इनके सामने नतमस्तक नजर आते हैं…..