पाली नगर एवं थानान्तर्गत होटलों-ढाबों में खुलेआम हो रहा सरकारी शराब का अवैध कारोबार,ठोस कार्यवाही के अभाव में संचालकों के हौसले बुलंदी पर

दीपक शर्मा पाली)* – पाली नगर व थाना सीमान्तर्गत मुख्यमार्ग किनारे स्थित होटलों-ढाबों में खुलेआम सरकारी शराब परोसकर कानून व्यवस्था का खुला मजाक उड़ाया जा रहा हैं।यह तो नही मालूम कि किसके संरक्षण में यह धंधा बेखौफ चल रहा है।लेकिन इतना जरूर मालूम है कि इस अवैध कारोबार से आए दिन शांति भंग तथा बड़ी संख्या में युवा पीढ़ी तबाह हो रही है।और उनका भविष्य अंधकार की ओर बढ़ रहा है।होटलों-ढाबों पर अवैध रूप से चौबीसों घण्टे परोसी जा रही शराब के मामले से स्थानीय कानून के रखवाले खुद को अनजान बता रहे है।जबकि अवैध शराब कारोबार का यह धंधा सबकी नजरों के सामने खुलेआम संचालित हो रहा है।नगर के पुराना बस स्टैंड में संचालित रेस्टोरेंट व नया बस स्टैंड में स्थित दो ढाबों में लंबे समय से शराब परोसे जाने का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है।और इनके संचालक ऊपर तक सेटिंग होने की बात कहकर सीना ठोंकते है।इसके अलावा कटघोरा-बिलासपुर मुख्यमार्ग पर आसपास संचालित कुछ ढाबों में भी शराब परोसे जाने का खेल निर्बाध गति चल रहा है।ऐसा भी नहीं कि इसकी जानकारी समाज सुधारकों को नहीं है।इसके बाद भी इस पर पूर्णतः रोक या कार्रवाई की बात अब तक सामने नहीं आई है।लोगों का कहना है कि दिन रात सुलभ रूप से उपलब्ध हो रहे शराब के चक्कर में युवा पीढ़ी खुद को बर्बाद कर रही है।इसकी वजह से उनका भविष्य अंधकार की ओर फिसलता जा रहा है।इस अवैध व्यवसाय संचालकों के हौसलों की भी दाद देनी पड़ेगी जो अवैध शराब बिक्री व कोचिया बंदी की दिशा में शासन के नियम से एक कदम आगे बढ़कर कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए खुलेआम दो नम्बरी व्यवसाय संचालित कर रहे है।अब तो युवावर्ग के साथ नाबालिग स्कूली बच्चें भी देर शाम आपस मे चंदा इकट्ठा कर ढाबों के भीतर जाम छलकाते देखे जाते है।कहा जाए तो समाज का एक बड़ा हिस्सा व कल का भविष्य कहा जाने वाला एक बड़ा वर्ग इस दलदल में फंसकर पतन की ओर अग्रसर है।आखिर ऐसी क्या वजह है कि अवैध शराब विक्रेताओं पर अंकुश नही लग पा रहा है।जिसके कारण उनके हौसले काफी बुलन्द हो चुके हैं।

*ढाबों में आखिर कहां से पहुँच रही शराब*
ढाबों में देखा जाए तो हर समय हर ब्रांड के शराब आसानी से उपलब्ध हो जाते है आखिरकार इन संचालकों के पास शराब की खेप पहुचती कहाँ से है जबकि सरकार खुद शराब बेच रही है