पाली एसआई पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप…डरा-धमका कर दुकानदार से वसूले लाख रुपये

कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) पाली :- पुलिस का काम कानून की रक्षा करने के साथ आम लोगों को सुरक्षा प्रदान करना है। लेकिन तब क्या कीजियेगा जब खुद पुलिस वाला रक्षक की जगह भक्षक बन जाए।और इंतेहा ये है कि भयादोहन कर मनमाने वसूली करना तथा मुहमांगी रकम ना मिलने पर मानसिक रुप से प्रताडित करते हुए बनावटी मामला तैयार कर बेकसूर को कसूरवार करार दे दिया जाए।यह तो वर्दी की छवि को धूमिल करने वाली बात हो गई है।इन दिनों जिले के चौंक-चौराहों पर नैतिकता कानून का पाठ पढाने वाली पुलिस और जनमित्र पुलिसिंग व्यवस्था के विपरीत जिले के पाली थाना में पदस्थ चर्चित एक एसआई का कार्य कितना अनैतिक है।यह बीते समय मे घटित-घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है।जहाँ राजनैतिक संरक्षण प्राप्त वर्दीधारी के काले करतुत लगातार सामने आने के बाद भी उनपर नकेल कसने को लेकर किस तरह से उच्चाधिकारी चुप्पी साधे बैठे है।

25 मई को ग्राम नुनेरा निवासी एवं किराना दुकान संचालनकर्ता संतोष साहू पिता शाखाराम साहू ने पाली थाना के एसआई अशोक शर्मा द्वारा तंबाकू पदार्थ बेचें जाने का मामला बनाकर जेल भेजने का भयादोहन कर एक लाख रूपए मांगे जाने पर 60 हजार देने तथा शेष रकम ना दे सकने पर ट्रेक्टर में लोड उसके धान के साथ चोरी का शासकीय चांवल जब्तीनामा बनाने का झूठा मामला तैयार किये जाने का शिकायत पुलिस अधीक्षक से किया गया था।शिकायतपत्र के साथ उक्त एसआई द्वारा पैसे की मांग से सम्बंधित बातचीत का आडियो क्लिप तथा कुछ वीडियो फुटेज भी पेन ड्राइव में संलग्न कर दिया गया था।मामले ने रोचक मोड़ तब लिया जब चर्चित एसआई श्री अशोक शर्मा द्वारा एक झूठ छुपाने के लिए दूसरे झूठ का सहारा लिया गया और शिकायत से बचने तथा अपनी करनी पर पर्दा डालने साम-दाम की नीति अपनाकर दुष्यंत शर्मा नामक एक शख्स को सामने लाकर धान खरीदी-बिक्री का मामला बताकर अपने ऊपर लगे आरोप को मिथ्या साबित करने का प्रयास किया गया।पीड़ित ग्रामीण द्वारा उक्त झूठे रचित पुरे मामले की पुलिस अधीक्षक को पुनः आवेदन सौंप निष्पक्ष जांच एवं कार्यवाही का मांग किया गया।तथा गत 29 मई को बिलासपुर पुलिस महानिरिक्षक को दिये गए शिकायतपत्र में भी पुरे मामले का विस्तारपूर्ण उल्लेख कर न्यायोचित मांग गया।


लेकिन आज पर्यन्त समय तक मामले में किसी भी प्रकार की न्यायपूर्ण कार्यवाही का सुगबुगाहट नही होना पुलिस की न्याय कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।एसआई श्री अशोक शर्मा द्वारा इसके पूर्व किये गए कारनामे पर भी गौर करें तो पाली बाजार मोहल्ला निवासी नीलेश गुप्ता पिता नारायणलाल गुप्ता को लॉकडाउन में महज मास्क नही पहनने पर गत माह 23 अप्रैल को थाना ले जाकर और जेल भेजने का भयादोहन कर बीस हजार की राशि वसूली मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक से दो बार किये गए लिखित शिकायत के बाद पीड़ित का अबतक महज बयान पुलिस अनुविभाग कटघोरा कार्यालय में कलमबद्ध किया जाना एसआई श्री अशोक शर्मा के कारनामें को यहीं खत्म नही करता है बल्कि इसके पूर्व गत माह 04 जनवरी को डूमरकछार चौंक निवासी गौतमराज पिता संतराम अपने झोपड़ीनुमा आवास सह चाय-बिस्किट दूकान में रात्रि खाना खाकर अपने 12 वर्षीय पुत्र के साथ सोया हुआ था।जहाँ पुत्र को लघुशंका लगने पर रात्रि 12 बजे बाहर निकलने पर एसआई श्री शर्मा द्वारा पिता-पुत्र के साथ मारपीट कर पिता को रातभर थाने में बिठाये रखना तथा सुबह एक जोड़ी चप्पल व 100 रूपए नगद देकर विदा किये जाने के मामले पर भी पीड़ित गौतमराज द्वारा गत 06 जनवरी को पुलिस अधीक्षक से किये गए शिकायत मामले के दौरान ही चर्चित हुए एसआई पर एक के बाद एक किये गए शिकायत पश्चात भी विभागीय कार्यवाही को लेकर संबंधित उच्चाधिकारी कतराने लगे है।जहां उनकी काबलियत के फलस्वरुप उन्हें अभयदान प्रदान किया गया है।और इसी के तहत एसआई को शिकायती मामलों से साफ़-बेदाग बचाने के लिए पूरी कायनात लगा दी गई है।ऐसे में क्या मजाल कि संबंधित कोई भी उच्चाधिकारी उक्त एसआई पर विभागीय कार्यवाही को लेकर नजरें टेढ़ी कर सके।इस प्रकार मिले वरदहस्त के बैनर तले कुछ नही बिगड़ने का दम्भ भरने वाले एसआई द्वारा अपने कारनामों से अपने ही उच्चाधिकारी की कार्यशैली और जांच को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है।जहाँ उनके किये गए कारनामें अब उनका पीछा छोड़ने का नाम नही ले रहा है।और तमाम कारनामों कि चर्चा आम होने लगी है।फिलहाल पीड़ितों द्वारा न्यायिक जांच की गुहार पर न्याय ना मिल पाना पुलिस की न्यायप्रणाली व्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।अब मानसपटल में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर पीड़ितों को कब मिलेगा न्याय तथा रंगदार एवं कारनामेबाज एसआई के खिलाफ कब होगी कार्यवाही….?