कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़ ):-कोरबा 14 दिसंबर 2020/कोरबा जिले के लबेद में बहने वाले नाले पर ग्रामीणों द्वारा 25 साल पहले बनाये गये मिट्टी के बांध को जल संसाधन विभाग द्वारा तकनीकी रूप से ठीक कर लगभग 419 एकड़ रकबे तक सिंचाई सुविधा बढ़ा दी गई है। लबेद और गिद्धकुवांरी गांव के लगभग 180 से ज़्यादा किसानों को अब खरीफ में 280 एकड़ और रबी में 139 एकड़ रकबे में लगी फसलों के लिए भरपूर पानी मिल रहा है। बांध के जीर्णोद्धार के बाद अंतिम छोर के खेतों में भी आसानी से पानी पहुंच रहा है और अंतिम छोर के किसान भी अब रबी और खरीफ दोनों सीजन में सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा है। लबेद जलाशय के जीर्णोद्धार से 208 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ जिससे किसानों के खेतों में लगी फसलों की पैदावार भी बढ़ गई है। है। इस परियोजना की खास बात रही कि नहरों के लिए किसी भी किसान की जमीन नहीं ली गई, न ही वन भूमि से पेड़ काटे गये। परियोजना के तहत खेती की जमीन बचाने और जंगल को बचाने के लिए लगभग आठ सौ मीटर अण्डरग्राउंड नहर बनाई गई। लबेद और गिद्धकुवांरी के किसान बांध के जीर्णोद्धार से खुश हैं। किसान इस बात से भी खुश हैं कि उनकी मांग को एक बार में ही मानकर प्रशासन ने बांध के जीर्णोद्धार को स्वीकृति दी और एक साल में ही इसका काम पूरा हो गया।
कोरबा विकासखंड के लबेद गांव के ग्रामीणों ने गांव के पास बहने वाले नाले पर 25 साल पहले जन सहयोग और अपने स्वयं के साधन से मिट्टी का बांध बनाकर सिंचाई के लिए पानी रोका था। मिट्टी के बांध से छोटी-छोटी नालियों के माध्यम से पानी छोड़कर किसान बमुश्किल 210 एकड़ में लगी फसलों में सिंचाई कर पाते थे। बिना किसी तकनीकी विशेषज्ञता के बने इस बांध की नहरों की जर्जर स्थिति, और अनियंत्रित पानी बहने से बहुत सा पानी बर्बाद हो जाता था। किसान पहले खरीफ मौसम में 139 एकड़ में और रबी मौसम में सिर्फ 72 एकड़ की फसलों में ही सिंचाई कर पाते थे। इतने खेतों में भी समय पर पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता था। नहरों के अंतिम छोर पर स्थित लगभग 40-42 एकड़ के खेत प्यासे रह जाते थे। जिन पर किसान न तो खरीफ में न ही रबी में फसल ले पाते थे।
ग्रामीणों की मांग पर इस 25 साल पुराने मिट्टी के बांध का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण दो करोड़ 34 लाख रूपये की लागत से जल संसाधन विभाग द्वारा रिकार्ड एक वर्ष में कराया गया। परियोजना में बांध पर एक वेस्टवीयर, स्लूज गेट बनाये गये साथ ही किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहरों का भी निर्माण हुआ। परियोजना के तहत आठ सौ मीटर अण्डरग्राउंड नहर के माध्यम से भी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया गया। परियोजना पूरी होने पर लबेद और गिद्धकुंवारी गांव के 180 से अधिक किसानों को लगभग 420 एकड़ रकबे में द्विफसली खेती की सुविधा मिलने लगी है। दोनों गांव के किसान अब पूरी मेहनत कर रबी और खरीफ दोनों मौसमों में खेती कर भरपूर पैदावार ले रहे हैं। किसानों को अब पहले की तरह नहरों के रख-रखाव, मरम्मत, पानी के व्यर्थ बहाव जैसी चिंताओं से भी छुटकारा मिल गया है।