बीजापुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़): एक समय नक्सलियों (naxals) ने बासागुड़ा-तर्रेम सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दी थी. इस सड़क पर आवागमन बंद हो गया था. लेकिन अब सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी के बीच बासागुड़ा-तर्रेम सड़क (Basaguda-tarrem road) का निर्माण पूरा हो चुका है. सड़क निर्माण के दौरान नक्सलियों ने कई बार जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए घटनाओं को अंजाम दिया. इसके बावजूद सुरक्षा बलों के जवानों के हौसले और सजगता के साथ यह सड़क फिर बन चुकी है. रोड बन जाने के बाद क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक वितरण प्रणाली का राशन, पेयजल, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन हर संभव कोशिश कर रहा है.
नक्सलियों ने बर्बाद कर दी थी सड़क
20 साल पहले लाल आतंक ने बर्बाद की बीजापुर की कई सड़कें
दरअसल अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान 80 के दशक में बीजापुर से बासागुड़ा-जगरगुंडा होकर दोरनापाल तक इस मार्ग पर बसें चला करती थीं और बासागुड़ा और जगरगुंडा का बाजार गुलजार रहता था. लाल आतंक के चलते बाद में बसें बंद हो गयी और नक्सलियों ने इस सड़क को जगह-जगह काट दिया. पुल-पुलिया को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था. नक्सलियों की दहशत के कारण कई ग्रामीण अपने गांव छोड़कर दूसरे जगह चले गए थे. लेकिन अब सुरक्षा बलों की कड़ी सुरक्षा और सक्रिय सहभागिता से बासागुड़ा-तर्रेम सड़क बन चुकी है. जिससे इस इलाके के गांवों में विकास को बढ़ावा मिला है और ये गांव फिर से आबाद होने लगा है.
80 के दशक में बीजापुर से दोरनापाल तक चलती थी बसें
बासागुड़ा के एक बुजुर्ग बताते हैं कि अविभाजित बस्तर जिले के दौरान 80 के दशक में यह क्षेत्र समृद्ध था. बीजापुर से दोरनापाल तक बसें चला करती थीं और वनोपज-काष्ठ का समुचित दोहन हो रहा था. इस इलाके के किसान अच्छी खेती-किसानी करते थे. ग्रामीण संग्राहक वनोपज का संग्रहण कर स्थानीय बासागुड़ा बाजार में बेचते थे. बासागुड़ा बाजार वनोपज के कारोबार से परिपूर्ण था. लेकिन आज से लगभग 20 साल पहले लाल आतंक के चलते सड़क बंद हो गयी और गांव के गांव वीरान हो गये थे. अब शासन-प्रशासन के संकल्प से बासागुड़ा-तर्रेम पक्की सड़क का सपना साकार हो गया है. इलाके में विकास कार्यों को प्राथमिकता के साथ सुनिश्चित किया जा रहा है. यही वजह है कि अब इस क्षेत्र के गांवों के ग्रामीण फिर से आकर बसने लगे हैं.
80 के दशक में बीजापुर से दोरनापाल तक चलती थी बसें
अमन-चैन की आस लेकर गांव लौटने लगे ग्रामीण
बासागुड़ा निवासी एक और बुजुर्ग ने बताया कि सड़क बन जाने के बाद अब इस क्षेत्र के लोग काफी खुश है. ग्रामीण क्षेत्र में शांति और अमन-चैन की आस लेकर फिर से लौटने लगे हैं. खेती-किसानी को बेहतर ढंग से करने और वनोपज संग्रहण और अन्य जीविकोपार्जन साधनों की तलाश में वापस अपने गांव आ रहे हैं. क्षेत्र के ग्रामीण सड़क निर्माण और इलाके में विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं.