जांजगीर-चांपा (सेंट्रल छत्तीसगढ़): साल 2008 की बारहवीं परीक्षा फर्जीवाड़े के सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) ने सुनवाई के बाद पोरा बाई समेत नौ आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है. 12 साल तक चले इस मामले में अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिद्ध नहीं कर पाया.
अभियोजन के अनुसार 2008 में माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित बारहवीं बोर्ड परीक्षा में पोरा बाई शामिल हुई थी. पोरा बाई शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्रा थी. उसने सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एग्जाम सेंटर 24189 में परीक्षा दी थी.
मेरिट लिस्ट में फर्स्ट आई थी पोरा बाई
26 मई को परीक्षा का रिजल्ट आया, तो आरोपी पोरा बाई को मेरिट लिस्ट में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ. माध्यमिक शिक्षा मंडल के तत्कालीन सचिव को संदेह होने पर उप सचिव पीके पांडे द्वारा मामले की जांच कराई गई. जांच में पोरा बाई की उत्तर पुस्तिका में गड़बड़ी, हेराफेरी होने और अपात्र छात्रा को प्रवेश देकर जालसाजी किया जाना पाया गया.
माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव को हुआ था शक
सचिव के जांच प्रतिवेदन के आधार पर माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव ने बोर्ड के संभागीय अधिकारी को संबंधित थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने का आदेश दिए. जिस पर संभागीय अधिकारी बाल किशन चौधरी रिपोर्ट पर आरोपी के विरूद्ध बम्हनीडीह थाना में आरोपी छात्रा पोरा बाई, प्रिंसिपल एसएल जाटव, केंद्राध्यक्ष फुल साय नृसिंह, सहायक केंद्राध्यक्ष बाल चंद भारती, व्याख्याता डीआर खुटे, उच्च वर्ग शिक्षक एमएल साहू, शिक्षाकर्मी गुलाब सिंह बंजारे, दीपक सिंह जाटव, एसएल जावेर, केंद्राध्यक्ष शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बर्रा एसएल तिवारी के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.
मामला अदालत पहुंचा और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट सुबोध मिश्रा ने इसकी सुनवाई की. प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट सुबोध मिश्रा ने कहा कि सबूत पूरे नहीं हैं. जिसका फायदा आरोपी पक्ष को जाता है. इस मामले में सारे आरोपियों को बरी किया है.