रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): विधानसभा में CCMC का अधिग्रहण विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया है. CCMC के अधिग्रहण पर विपक्ष ने संशोधन विधेयक प्रस्ताव रखा था. जिस पर मत विभाजन हुआ. संशोधन विधेयक प्रस्ताव के पक्ष में 16 मत पड़े. जबकि विपक्ष में 56 मत पड़े. जिसके बाद संशोधन प्रस्ताव अस्वीकार हो गया और आखिरकार चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया.
टीएस सिंहदेव
चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण को लेकर विपक्ष ने सीएम भूपेश बघेल पर अपने दामाद को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है. चंदूलाल चंद्राकर के पोते अमित चंद्राकर ने भी इस पर आपत्ति जताई है और इसमें बड़े घोटाले का आरोप भी लगाया. अमित चंद्राकर पूर्व सांसद चंदूलाल चंद्राकर यानी जिनके नाम पर यह कॉलेज और अस्पताल खोले गए, उनके ही पोते हैं. अमित चंद्राकर ने इस पूरे मामले में बड़े घोटाले का आरोप लगाया है. अमित खुद कांग्रेस नेता हैं. अमित ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है.
अमित चंद्राकर का कहना है कि नेहरू नगर में लीज पर मिली जमीन पर चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल संचालित है. इसी के संचालन समिति द्वारा 2013 में चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को कचंदुर भिलाई में स्थापित किया गया. इसको चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी में रखा गया और उसको सेक्शन 25 कंपनी में परिवर्तित कर दिया गया. इसका भी नाम (CCMH) कर दिया गया.
इस अधिग्रहण से किसे लाभ ?
अमित चंद्राकर का कहना है कि सरकार जब चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण करेगी तो जो बैंक लोन चुकायेगी उससे नेहरू नगर स्थित हॉस्पिटल का लोन भी चुक जाएगा. मतलब जितने शेयरहोल्डर और डायरेक्टर हैं वे सरकारी कृपा से कर्ज मुक्त हो जाएंगे. उनका साफ कहना है कि सरकार अगर ये हवाला दे रही है कि ये कदम एक मेडिकल कॉलेज को बचाने और कई छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए किया जा रहा है तो ये कदम पहले क्यों नहीं उठाया गया जबकि इस कॉलेज की मान्यता 2017 में ही समाप्त हो चुकी है. आप छात्रों को दूसरे कॉलेज में शिफ्ट कर सकते हैं लेकिन आप ऐसा न करके एक बिना मान्यता वाले कॉलेज का अधिग्रहण कर रहे हैं जो पहले ही कर्ज से घिरा हुआ है.. आखिर ये फैसला किस लिए ? अमित कहते हैं कि चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के पास 100 एकड़ जमीन है. इसमें से लगभग 25 एकड़ में निर्माण हुआ है. अगर सरकार सिर्फ इस निर्माण किए हुए हिस्से का अधिग्रहण करती है तो सीधे सीधे वहां मौजूद 75 एकड़ जमीन का बाजार मूल्य कई गुना बढ़ जाएगा. इसका सीधा लाभ इस CCMH के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को होगा जिसमें मुख्यमंत्री के रिश्तेदार भी शामिल हैं.