छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2021: राज्य गठन के 21 साल विकास के पथ पर कैसे बढ़ा प्रदेश?


रायपुर( सेंट्रल छत्तीसगढ़):-
 छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (State Foundation Day) एक नवंबर को मनाया जाएगा. राज्योत्सव-2021 के एक दिवसीय आयोजन (One Day Event) में अलग-अलग संस्थाओं के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी. जिसमें छत्तीसगढ़ के इतिहास (History), भूगोल (Geography), परंपरा (Tradition), संस्कृति (Culture) आदि पर कई आकर्षक कार्यक्रम होंंगे.

कार्यक्रम की निःशुल्क प्रस्तुति के लिए इच्छुक संस्था, कलाकारों (Artists), कलाकारों की संख्या (Number Of Artists), कार्यक्रम का समय (Program Time), विद्या, कार्यक्रम के विस्तृत विवरण एवं कांटेक्ट नंबर (Contact Number) प्रशासनिक कार्यालय (Administrative Office) में उपलब्ध कराने होंगे.

2000 में हुआ था छत्तीसगढ़ का गठन

1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ का गठन हुआ. आधिकारिक दस्तावेज में ‘छत्तीसगढ़’ का सर्वप्रथम प्रयोग 1795 में हुआ था. छत्तीसगढ़ शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों में कोई एक मत नहीं है. कुछ इतिहासकारों (Historians) का मानना है कि कलचुरी काल में छत्तीसगढ़ आधिकारिक रूप से 36 गढ़ो में बंटा था, यह गढ़ एक आधिकारिक इकाई (Official Unit) थे न कि किले या दुर्ग. इन्ही ’36 गढ़ों’ के आधार पर छत्तीसगढ़ नाम कि व्युत्पत्ति हुई.

शुरूआती दौर में करना पड़ा संघर्ष

छत्तीसगढ़ जब मध्य प्रदेश से अलग होकर नया राज्य बना. उस वक्त आर्थिक रूप से यह काफी पिछड़ा हुआ था. उस वक्त प्रति व्यक्ति आय 10,125 रुपये थी जो आज बढ़ कर 98,281 रुपये हो गई है. इस तरह देखा जाए तो पिछले 20 सालों में छत्तीसगढ़ वासियों की आय में करीब 10 गुना की वृद्धि हुई है. इस विकास को हम पांच चरणों में देख सकते हैं.

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढ़े कदम

छत्तीसगढ़ अपने निर्माण के वक्त स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बेहद मामूली संसाधन वाला क्षेत्र था. 21 साल में इस दिशा में काफी काम हुआ है. जब राज्य का निर्माण हुआ था, उस वक्त यहां महज एक मेडिकल कॉलेज (Medical College) हुआ करता था, लेकिन आज इसकी संख्या बढ़कर आधे दर्जन से भी अधिक हो गई है. आज प्रदेश में आईआईएम (IIM), आईआईटी (IIT), ट्रिपल आईटी (Triple IT), एनआईटी (NIT), एम्स, लॉ यूनिवर्सिटी (AIIMS, Law University) जैसी कई बड़ी संस्थाएं खुल गई हैं. इसके अलावा स्कूली शिक्षा में भी काफी विकास हुआ है.

‘राज जलसा’ को देख लिया गया था राज्योत्सव मनाने का निर्णय

36 किलों का गढ़ छत्तीसगढ़

इतिहासकारों (Historian) के मुताबिक कल्चुरी राजाओं द्वारा 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए गए थे. इस क्षेत्र को दक्षिण कोसल के तौर पर भी जाना जाता था. बताते हैं, राजाओं के समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी बिलासपुर के पास स्थित एक शहर रतनपुर, कल्चुरी हुआ करती थी. हालांकि वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर है.

जल-जंगल और जमीन है पहचान

किले और गढ़ के अलावा छत्तीसगढ़ की और भी कई पहचान है. कहते हैं, जब जंगलों में धूप खिले…जब नदियां बहती जाएं…जब बैलों की पूजा हो…परंपराएं निभाई जाएं…तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है. जब धान की खुशबू की महक उठे…बिटिया तीज में मेंहदी लगाकर चहक उठे…सुआ नृत्य में झूमते-झूमते जब महानदी की लहर उठे….तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है. पोला-हरेली, चीला और फरा…बस्तर स्वर्ग सा सुंदर हरा-भरा…दंतेश्वरी के आशीष से जब दुख हरते जाएं…तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है. आदिवासियों की झोली में रीति और रिवाज हैं. खेतों से आती खुशहाली की आवाज है. तीजन बाई की पंडवानी में जब चारों दिशाएं बंधती जाएं…समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है.

छत्तीसगढ़ का इतिहास

  • 1 नवंबर 2000 को पूर्ण अस्तित्व में आया.
  • प्राचीन काल (Ancient Time) में इस क्षेत्र को ‘दक्षिण कौशल’ के नाम से जाना जाता था.
  • रामायण और महाभारत (Ramayana and Mahabharata) में भी उल्लेख मिलता है.
  • 6वीं और 12वीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने यहां शासन किया.
  • साल 1904 में यह प्रदेश संबलपुर उड़ीसा में चला गया और ‘सरगुजा’ रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आया.

छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखंड और ओडिशा से, पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से, उत्तर में उत्तर प्रदेश और पश्चिमी झारखंड, दक्षिण में आंध्रप्रदेश से घिरा है. कहते हैं, छत्तीसगढ़ का इतिहास केवल 21 साल पुराना नहीं है. जब छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश का हिस्सा था, तब भी छत्तीसगढ़ियों का दिल अपने राज्य के लिए धड़कता था. डॉ. पंडित सुंदरलाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, खूबचंद बघेल जैसी विभूतियों ने छत्तीसगढ़ के लिए जन-जागरण के साथ इसे पाने के लिए लंबा संघर्ष किया था.

इस तरह मनाया जाएगा राज्योत्सव

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में जनप्रतिनिध, उच्चाधिकारी और स्थानीय अधिकारी मौजूद होंगे. राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय की ओर से जिलों में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम के मुख्य अतिथियों की सूची जारी की जाएगी.