ग्राम पंचायत बिरदा के सरपंच-सचिव ने मिलीभगत से उड़ा लिए सरकारी मदो के 17 लाख से ज्यादा की राशि.. पंच पहुंचे शिकायत करने तो जनपद सीईओ ने चैंबर से किया बाहर.. “कहा हो गई जांच, सब सही है”.

कटघोरा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): जनतंत्र में प्रशासन के अफसर क्षेत्र के लोगो के चुने हुए जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को लेकर कितने असंवेदनशील है इसकी बानगी आज कटघोरा जनपद पंचायत में उस वक़्त देखने को मिली जब गांव के बारह पंच और अन्य ग्रामीण अपने पंचायत के सरपंच और सचिव के खिलाफ शिकायत करने जनपद पंचायत पहुंचे थे लेकिन जनपद कटघोरा के सीईओ श्री खूँटेल ने बजाए उनकी समस्याओं को सुनने-जानने के विपरीत उन्हें अपने चेम्बर से ही बाहर कर दिया. सीईओ के इस बदसलूकी के बाद सभी पंच बाहर आये और फिर तहसील दफ्तर पहुंचकर सीधे एसडीएम कटघोरा अभिषेक शर्मा से सीईओ एचएन खूँटेल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई. ग्रामीणों ने कार्रवाई नही होने की दशा में इस मामले की शिकायत जिला पंचायत सीईओ, जिला कलेक्टर व रायपुर में सम्बंधित विभाग के मंत्री से करने की बात कही है. पंचो ने मीडियाकर्मियों के सामने भी अपने गांव के सरपंच और सचिव के खिलाफ आरोपो की पूरी फेहरिस्त सौंपी है. वही अपने सवालिया कार्यशैली और मातहत कर्मियो से अक्सर बदसलूकी से पेश आने वाले जनपद के सीईओ एचएन खूँटेल एक बार फिर सवालो के घेरे में है.

इस बारे में बताया गया कि जनपद पंचायत कटघोरा के अंतर्गत यनै वाले बिरदा गांव के लोग बड़ी संख्या में जनपद के दफ्तर पहुँचे थे. उनके साथ ग्राम पंचायत बिरदा के बारह अन्य पंच भी मौजूद थे. मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि पिछले साल के अक्टूबर में उन्होंने ग्राम सरपंच भैयाराम बियार और पंचायत सचिव के खिलाफ शिकायत करते हुए बताया कि दोनों ने ही ग्राम विकास के लिए शासन की ओर से आबंटित 14वे वित्त, मूलभूत व खनिज न्यास मद के करीब 17 लाख से ज्यादा की राशि का बंदरबांट कर लिया है. उन्होंने अपने इस करतूत को छिपाने पंचायत में फर्जी बिल भी पेश कर दिए है जबकि किसी भी कार्य के लिए कोई प्रस्ताव ही पंचायत के पटल पर नही रखा गया था. पंचो और ग्रामीणों ने जब उक्त राशि के खर्च का ब्यौरा मांगा तो दोनों ही गोलमाल जवाब देने लगे. संतुष्टिजनक जवाब नही मिलने पर जब शिकायत की बात की गई तो सरपंच भैयाराम बियार और ज्ञानसिंह कंवर दोनों ही ग्रामीणों के सामने अपने पहुंच का धौंस दिखाने लगे.

समिति ने बिना जांच के दे दी क्लीनचिट.

इस बारे में बताया गया कि लिखित शिकायत के बाद जनपद कटघोरा के सीईओ एचएन खूँटेल ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया और उन्हें जांच के लिए बिरदा भेजा. गांव पहुंचने पर उन्होंने सरपंच और सचिव से चर्चा की और फिर लौट आये. शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज नही किये जाने पर जब ग्रामीणों ने जांच समिति से पूछताछ की तो उन्होंने सरपंच और सचिव के पास दस्तावेज मौजूद नही होने की बात कही और वे लौट आये. इसके बाद जब पंचो ने जांच के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास किया तो उन्हें सीईओ जनपद ने बताया कि उनकी समिति ने जांच पूरी कर ली है. राशि आहरण के भौतिक सत्यापन भी कराया जा चुका है. किसी तरह की कोई गड़बड़ी सामने नही आई है.

सीईओ ने पंचो को कहा.. “चैंबर से निकलो बाहर”.

पंचों, महिलाओं और ग्रामीणों ने बताया कि आज शिकायत के ठीक पांच महीने बाद वे फिर से इसकी जानकारी लेने कटघोरा आये हुए थे. वे जांच समिति के रिपोर्ट के बारे में जानना चाहते थे. इस दौरान उनके साथ बड़ी संख्या में गांव से पहुंची महिलाएं भी थी. जब कुछेक लोग सीईओ के चैंबर भब पहुंचे तो उन्होंने जांच और कार्रवाई का मुद्दा उठाया. लेकिन इतना सुनते ही सीईओ खूँटेल आपे से बाहर हो गए और सभी को फौरन चेम्बर के बाहर चले जाने को कहा. उन्होंने यह भी बताया कि जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट उन्हें सौंप दी है. राशि के आहरण की वजह और उनका भौतिक सत्यापन भी कराया जा चुका है. सरपंच और सचिव पर लगे आरोप सही नही है. हालांकि ग्रामीणों ने उन्हें यह बताया कि जांच टीम ने सिर्फ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी. उन्होंने न ही खातों की जांच की है, ना ही भुगतान बिलो का मुआयना किया और ना ही किसी का बयान दर्ज किया है. लेकिन सीईओ एचएन खूँटेल ग्रामीणों की इस दलील को मानने को तैयार ही नही हुए.

पहले हो आरोपो की पुष्टि और कार्रवाई.. फिर लाएंगे अविश्वास प्रस्ताव.

शिकायतों का पूरा पुलिंदा लेकर जनपद के दफ्तर पहुंचे पंचो से जब अविश्वास प्रस्ताव के सम्बंध में सवाल किया गया तो उन्होंने साफ़तौर पर कहा कि सरपंच की बेदखली उनके लिए मुद्दा नही है. उनका गांव लंबे वक्त से बुनियादी जरूरतों के अभाव से जूझ रहा है. वे उच्चाधिकारी और मंत्री, विधायको से मन्त्रणा कर गाँव के विकास के लिए मद जुटाते है. यह ना सिर्फ उनका कर्तव्य है बल्कि जिन ग्रामीणों ने उन्हें चुना है उनकी उम्मीदों को पूरा करना भी बड़ा दायित्व है. ऐसे में कोई अगर ग्राम विकास के संसाधन या राशि मे गड़बड़ी करता है तो ऐसे दोषी अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों पर आरोप तय कर उनपर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए. वे अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे लेकिन पहले प्रशासनिक स्तर पर मामले की जांच कराकर दोषी सरपंच और सचिव को बेनकाब किया जाए. उन्होंने बताया कि जनपद के सीईओ उनका सहयोग नही कर रहे है. वे दोनों ही दोषियों को शिकायत के बाद से बचाने में जुटे हुए है. जनपद के सीईओ पर पहले भी लग चुके है गम्भीर आरोप..अफसर पर प्रशासन भी मेहरबान.