खटीमा (उत्तराखंड) सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ : भारत के अलग-अलग राज्यों में कोरोना संक्रमण बढ़ने की आशंका के बीच उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है. अभी तक कुमाऊं के जो जनपद कोरोना की जद में नहीं आए थे, उन पहाड़ी जनपदों में अगर कुछ लोग आवाज नहीं उठाते तो हालात और बिगड़ सकते थे. उत्तराखंड और नेपाल सीमा पर बसे बनबसा-खटीमा और टनकपुर के कुछ व्यापारियों को हुआ जरा सा शक उत्तराखंड के लिए शायद अब फायदेमंद हो सकता है.
उत्तराखंड-नेपाल सीमा पर वर्तमान में कोरोना जांच प्रक्रिया और चेकिंग के क्या हालात हैं, इस जायजा लेने खुद मिडिया की टीम बॉर्डर पर पहुंची. जिसमें पाया गया कि
- बॉर्डर से मात्र 50 मीटर की दूरी पर कुछ 90-100 नेपाली नागरिक लाइन लगाकर बैठे थे.
- सामने स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बनाए गए एक छोटे से चेक पोस्ट पर अपनी जांच का इंतजार कर रहे थे.
- एक-एक कर सबको बुलाया जा रहा था.
- फिर उनके डॉक्यूमेंट्स की जांच की जा रही थी.
- उसके बाद उनका कोरोना रैपिड टेस्ट किया जा रहा था.
- इस पूरी प्रक्रिया को टोकन के हिसाब से काम किया जा रहा था.
- स्वास्थ्य विभाग की टीम हर व्यक्ति का नाम और टोकन नंबर नोट कर रही थी और जांच नतीजा उसके आगे लिखा जा रहा था.
- इस पूरी प्रक्रिया में 3-4 घंटे का समय लग रहा था.
- कोरोना टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही उनको आगे भेजा जा रहा था.
- कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर वापस लौटाया जा रहा था.
- सीमा पर करीब 300-350 लोगों के हर रोज टेस्ट हो रहे हैं.
मौके पर कोरोना रैपिड टेस्ट कर रहे फार्मेसिस्ट अमित जोशी ने ईटीवी भारत को बताया कि रोजाना लगभग 300 से 350 नेपाली नागरिकों के कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं. 22 नवंबर को अट्ठारह नेपाली नागरिक कोरोना संक्रमित पाये गए थे, तब से आज 26 नवंबर तक कुल 30 नेपाली नागरिक कोरोना पॉजिटिव पाये गए हैं, जिन्हें स्थानीय प्रशासन ने वापस नेपाल प्रशासन को सौंप दिया है.
स्वास्थ्य कैंप से क्लीयरेंस मिलने के बाद एसएसबी की चेक पोस्ट पर नेपाली नागरिकों की चेकिंग की जाती है. आने वालों का नाम, जो गाड़ी से आ रहा है उसकी गाड़ी का नंबर, पता और जरूरी कागजातों की चेकिंग भी की जाती है. यहां भारतीय आधार कार्ड को दिखाकर नेपाल से भारत आ रहे लोगों का आधार कार्ड भी वेरिफाई किया जा रहा है. क्योंकि कुछ समय पहले ही चंपावत पुलिस को इनपुट मिला था कि नेपाल में फर्जी तरीके से भारतीय आधार कार्ड का काम चल रहा है. तभी से भारतीय प्रशासन काफी सतर्क हो गया है और बॉर्डर पर आने-जाने वालों की चेकिंग के साथ कागजातों को भी चेक किया जा रहा है.
एसएसबी चेक पोस्ट के बाद 100 मीटर की दूरी पर कस्टम और इमिग्रेशन चेक पोस्ट पर क्लीयरेंस होने के बाद शारदा पुल पार कर शारदा बैराज चौकी से होते हुये नेपाली नागरिक अपने गंतव्यों की ओर रुख करते हैं.
दरअसल, अनलॉक के बाद जिस तरह से प्रशासनिक तौर पर ढिलाई बरती गई, उसके बाद सीमांत क्षेत्र के कुछ व्यापारियों ने ये आवाज उठाई कि नेपाल कोरोना काल में भारतीय व्यापारियों के लिए दरवाजे बंद किए बैठा है, लेकिन दूसरी ओर भारत मित्रता दिखाते हुए आज भी नेपाल से आने वाले लोगों को बेधड़क आने जाने दे रहा है, जिससे न केवल बाजारों में भीड़ अधिक हो रही है बल्कि कोरोना संक्रमण भी फैल सकता है.
शुरुआती दौर में तो प्रशासन ने इन बातों को हल्के में लिया, लेकिन बीती 23 नवंबर को सीमांत बनबसा के व्यापारियों ने नेपाल प्रशासन द्वारा भारतीय व्यापारियों व अन्य भारतीय नागरिकों के साथ नेपाल में किए जा रहे अपमानजनक व्यवहार से आक्रोशित होकर जोरदार प्रदर्शन किया. व्यापारियों का कहना था कि लॉकडाउन के बाद जहां नेपाल जा रहे भारतीय व्यापारियों व आम भारतीयों के साथ नेपाल प्रशासन का अपमानजनक व्यवहार है, तो वहीं भारतीय प्रशासन लगातार नेपाली नागरिकों को भारत में प्रवेश दे रहा है.
दवाब बढ़ा तो सीमा पार से आने वाले लोगों की कोरोना जांच करवानी शुरू की गई, और व्यापारियों का शक सही साबित हुआ. बीती 22 नवंबर की शाम से प्रशासन ने भारत आने वाले नेपाली नागरिकों का कोरोना टेस्ट करना शुरू किया और पहले ही दिन 18 लोग कोरोना संक्रमित निकले. इसके बाद स्थानीय प्रशासन के होश उड़ गए और कोरोना जांच करनी शुरू की गई. स्थानीय व्यापारियों के विरोध का ही असर रहा कि अब कोरोना संक्रमित लोग बॉर्डर पार कर नहीं आ सकेंगे. हालांकि, ये सवाल जरूर उठ रहा है कि पहले बरती गई ढिलाई के कारण भारत की सीमा में प्रवेश कर चुके नेपाली नागरिकों में से कितने कोरोना पॉजिटिव रहे होंगे और उन नेपाली नागरिकों द्वारा कितने और लोगों को संक्रमण फैला होगा.