अहमदाबाद ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) : गुजरात में ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगल संक्रमण के मामले सामने आए हैं. शुक्रवार को अहमदाबाद के सोला सिविल अस्पताल में व्हाइट फंगल संक्रमण के तीन मामले दर्ज किए गए.
डॉक्टरों ने बताया कि ब्लैक फंगस के साथ व्हाइट फंगस के मामलों का भी निदान किया गया है. उन्होंने कहा कि यह फंगस शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. हालांकि अभी कम मामले सामने आ रहे हैं.
व्हाइट फंगस ज्यादातर फेफड़ों, गुर्दे, आंतों, जननांगों और पैरों में होता है. इलाज के लिए दवाएं भी उपलब्ध हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी ब्लैक फंगस से भी ज्यादा घातक है.
चार शहरों में 1100 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मामले
गुजरात के चार बड़े शहरों के सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 से उबरने के बाद ब्लैक फंगस से संक्रमित हुए 1100 से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है. एक सरकारी विज्ञप्ति में शुक्रवार को बताया गया कि राज्य सरकार ने म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) को महामारी घोषित कर दिया है और महामारी रोग अधिनियम के तहत बीमारी को अधिसूचित कर दिया है.
विज्ञप्ति के मुताबिक, अस्पतालों को केंद्र और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के ब्लैक फंगस की जांच, निदान और उपचार पर दिशानिर्देशों का पालन करना होगा.
गुजरात में अभी तक म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों की सही संख्या पर कोई डेटा नहीं है, लेकिन वर्तमान में अहमदाबाद, राजकोट, सूरत और वडोदरा शहरों के सरकारी अस्पतालों में इस संक्रमण से पीड़ित 1,100 से अधिक मरीज भर्ती हैं.
स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि सबसे ज्यादा 450 मरीज राजकोट के सिविल अस्पताल में भर्ती हैं. अहमदाबाद के मुख्य सिविल अस्पताल में 350, सूरत शहर के दो सरकारी अस्पतालों में करीब 110 और वडोदरा शहर के सरकारी अस्पतालों में करीब 225 मरीजों का इलाज चल रहा है.
अधिकारियों ने बताया कि कोरोना वायस की दूसरी लहर के प्रकोप के बाद से हर दिन ब्लैक फंगस के 70-80 मरीजों को अस्पातलों में भर्ती किया जा रहा है.