कोरबा/कटघोरा 24 जनवरी 2024 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : श्रमिक संगठनों और किसान संगठनों के एक संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार की ‘मजदूर, किसान एवं देश-विरोधी नीतियों के खिलाफ’ 16 फरवरी को देशव्यापी आम हड़ताल और ‘ग्रामीण बंद’ का आह्वान किया है। संयुक्त ट्रेड यूनियनों ने 16 फरवरी, 2024 की औद्योगिक एवं सेक्टोरल हड़ताल की घोषणा की है। इसकी तैयारी को लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच, कोरबा के संगठनों की बैठक आज ढेलवाडीह के जागृति क्लब में आयोजित की गई। इसमें AITUC, HMS, CITU, ICTU के नेताओं ने भाग लिया। बैठक में हड़ताल के प्रचार को बेहतर तरीके से मजदूरों के बीच ले जाने के लिए अपने-अपने संगठन और यूनियन की बैठक 26 जनवरी, 2024 तक करनी है। SECL के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरिद्वार सिंह ने कहा कि संयुक्त मंच फसलों के उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी लागू करने व श्रमिकों को 26,000 रुपये की न्यूनतम मासिक मजदूरी, चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, आईपीसी एवं सीआरपीसी में किए गए संशोधनों को निरस्त करने और रोजगार गारंटी को मौलिक अधिकार बनाने की मांग कर रहा है।
SECL के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरिद्वार सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय श्रम संगठनों (सीटीयू) एवं महासंघों के मंच ने एक संयुक्त बयान में इन मांगों को लेकर 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण बंद बुलाने का आह्वान किया है। उन्होंने छात्रों, युवाओं, शिक्षकों, महिलाओं, सामाजिक आंदोलनों और कला, रिक्शा चालक, संस्कृति, साहित्य के क्षेत्र के सभी समान विचारधारा वाले आंदोलनों से समर्थन की अपील की है। बयान के मुताबिक, ‘एसकेएम और सीटीयू/महासंघ/एसोसिएशन 16 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार की श्रमिक-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर देशव्यापी व्यापक लामबंदी का आह्वान करते हैं।’
इसके साथ ही उन्होंने चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, आईपीसी/ सीआरपीसी में किए गए संशोधनों को निरस्त करने, मौलिक अधिकार के रूप में रोजगार की गारंटी देने की मांग रखी है। श्रमिक संगठन रेलवे, रक्षा, बिजली, कोयला, तेल, इस्पात, दूरसंचार, डाक, बैंक, बीमा, परिवहन, हवाई अड्डों, बंदरगाह के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण नहीं करने की भी मांग कर रहे हैं।
उनकी अन्य मांगों में शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण रोकना, नौकरियों में संविदा नियुक्ति पर लगाम, निश्चित अवधि के रोजगार को खत्म करना, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 200 दिन कार्य और 600 रुपये की दैनिक मजदूरी के साथ मनरेगा को मजबूत करना, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना और संगठित एवं असंगठित दोनों क्षेत्रों में कार्यरत सभी लोगों को पेंशन एवं सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराना शामिल हैं। इसके साथ ही श्रमिक संगठनों ने 26 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर ट्रैक्टर/ वाहन परेड के लिए किसान मोर्चा के आह्वान को अपना समर्थन दिया है।
ढेलवाडीह कालोनी के जागृति भवन में आयोजित बैठक में जिले के चारो श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी व मजदूर संघ के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।