कोरबा : वन भूमि पर कब्जा करने काट डाले 52 पेड़.. जांच के दौरान दो ग्रामीणों की भूमिका आई सामने.. वन अधिनियम के तहत कार्यवाही पश्चात भेजे गए जेल.

कोरबा/कटघोरा 1 फरवरी 2024 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : लंबे समय से काबिज परिवारों को वन भूमि का पट्टा देने योजना शुरू की गई थी। इस योजना से जंगल का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। जंगल की जमीन पर कब्जा करने तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें ग्रामीणों ने साल व मिश्रित प्रजाति के 52 पेड़ों की कटाई कर दी। मामले में जांच उपरांत आरोपियों के खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई है उन्हें न्यायालय में पेश करते हुए न्यायिक रिमांड पर जेल दाखिल कर दिया गया है।

यह मामला कटघोरा वन मंडल के वन परिक्षेत्र एतमानगर का है। दरअसल वन मंडला अधिकारी कुमार निशांत को वन भूमि पर कब्जा करने पेड़ कटाई की सूचना मिली थी डीएफओ ने तस्दीक उपरांत कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए थे। उनके निर्देश पर उप मण्डला अधिकारी संजय त्रिपाठी ने जांच के लिए रेंजर देवदत्त खांडे के नेतृत्व में टीम गठित की। जब टीम तस्दीक के लिए गुरसियां के कक्ष क्रमांक पी 457 औराईनाला व पटपरपानी नामक स्थान पर पहुंची तो सूचना सही मिली। टीम को जांच के दौरान साल सहित मिश्रित प्रजाति के 52 पेड़ों की कटाई किए जाने की बात सामने आई। इन पेड़ों की कटाई में अतिक्रमण के उद्देश्य से रावण भाटा निवासी वीरसाय धनुहार व इतवार सिंह बिंझवार के हाथ होने की जानकारी मिली। पेड़ों की कटाई से शासन का करीब ₹1 लाख की क्षति हुई थी।

वन हमले ने ग्रामीणों से पूछताछ की तो उन्होंने पेड़ काटे जाने की बात स्वीकार कर ली। जिसके आधार पर वन अमले ने दोनों ग्रामीणों के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 52, 55 एवं 33(1) लोक संपत्ति निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3 (1)  के तहत कार्यवाही करते हुए आरोपियों को न्यायालय में पेश किया, जहां 15 दिनों के न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है। इस कार्यवाही में एतमानगर रेंज के उप वन क्षेत्रपाल तेरसराम कुर्रे, वनरक्षक राकेश किशोर चौहान, अमित कैवर्त, अमरनाथ पटेल व ऋषभ राठौर की सराहनी भूमिका रही।

खतरे में वन्य प्राणियों का जीवन

जिले में कोरबा व कटघोरा वन मंडल के जंगल वन संपदा से परिपूर्ण है। जंगल में विभिन्न प्रजाति के जीव जंतु स्वतंत्र विचरण करते हैं। जिनका जीवन भी सांसत में पड़ गया है। दरअसल योजना लागू होने के बाद जंगल में इंसान की दखलअंदाजी बढ़ी है, ग्रामीण जंगल में भीतर पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। उनके द्वारा अवैध उत्खनन किया जा रहा है, जिसका सीधा असर जल स्रोत पर व जीव जंतुओं पर पड़ रहा है।