कोरबा : भाजपा नेता की बड़ी करतूत..वनभूमि की फर्जी तरीके से कराई रजिस्ट्री..राष्ट्रीय राजमार्ग 130 में लगभग 2 करोड़ का उठाया मुआवजा..जांच के आदेश जारी

कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : बिलासपुर से कटघोरा तक बन रही नेशनल हाईवे 130 में अधिग्रहण में आई जमीनों में फर्जीवाड़ा का बड़ा मामला सामने आया है. कटघोरा नगर पालिका परिषद के पूर्व भाजपा एल्डरमेन दिनेश गर्ग ने ये बड़ा कारनामा किया है. पटवारी से सांठगांठ कर मदनपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग में आ रही जंगल भूमि को फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करा कर लगभग 2 करोड़ के मुआवजे की राशि हासिल कर ली गई है. इसकी शिकायत जब अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा से की गई तो उन्होंने इस शिकायत को संज्ञान में लेकर इस मामले की गहन जांच के लिए जांच कमेटी का गठन कर जान कराने के निर्देश जारी कर दिए है.

मिशल की छायाप्रति

दरअसल मदनपुर प.ह.न.8, रा.नि.म. पाली तहसील अंतर्गत मदनपुर भूमि खसरा न. 412 रकबा 1.58 एकड़ अधिकार अभिलेख में दर्ज शासकीय भूमि ( बड़े झाड़ का जंगल ) पटवारी और भू माफियाओं के जरिये से उक्त भूमि का फर्जी तरीके से पट्टा बनाकर बिना कलेक्टर की अनुमति से क्रय विक्रय कर राष्ट्रीय राजमार्ग में बटांकन कर रकबा 412 दिनेश कुमार पिता श्यामलाल, सुंदर अग्रवाल व अन्य अनिल कुमार पिता श्यामलाल, प्रेमलाल पिता श्यामलाल, किरण कुमार पिता श्यामलाल, अशोक कुमार पिता श्यामलाल खातेदार के नाम पर लगभग 1करोड़ 90 लांख से अधिक का मुआवजा प्राप्त कर लिया है. पटवारी तथा आर आई से सांठगांठ कर बड़े झाड़ के जंगल को फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करा कर इस फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया गया है.

शिकायत की कॉपी

जब इसकी लिखित शिकायत शशिकांत डिक्सेना के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (रा) सूर्यकिरण तिवारी से गई तो इन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच कराने की बात कही. अनुविभागीय अधिकारी ने तहसीलदार के नेतृत्व में जांच टीम बनाई है और इस जांच में दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाने की बात कही है.

भू अर्जन प्रकरण

नेता, व्यापारी से लेकर अधिकारी सभी शामिल

हाईवे के लिए जमीन अधिग्रहण के इस मामले में नियमों को ताक पर रखकर लाभ लेने वाले लोगों में विभिन्न राजनीतिक दल के नेता, कटघोरा-कोरबा के बड़े व्यापारी व अधिकारी भी शामिल हैं. यह सारा खेल पूर्व में तीन महीने के दौरान तब हुआ है जब प्रशासनिक अमला चुनावी तैयारियों में जुटा था. मिली जानकारी के अनुसार 15 अगस्त 2018 के बाद अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकती थी, मगर कम से कम 3 दर्जन से अधिक रजिस्ट्रियां कोरबा में हुई.