कोरबा : प्रस्तावित एकलव्य विद्यालय के सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधकार में.. DFO ने विद्यालय की जमीन को नियमविरुद्ध बताकर परमिशन देने से किया इनकार.. विधायक पुरुषोत्तम कंवर CM से करेंगे DFO की शिकायत.

कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : बच्चों की बेहतर शिक्षा और उनके उज्जवल भविष्य के लिए प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार जमीनी स्तर पर काम कर रही है। लेकिन कोरबा जिले कटघोरा बन मंडल में सूबे के मुखिया की मंशा पर कटघोरा DFO की मनमानी पानी फेरती नजर आ रही है। यहां पाली विधानसभा के लाफा में बच्चों के लिए एकलव्य आवासीय विद्यालय का निर्माण होना है, इसके लिए बकायदा केंद्र सरकार से जिले का करोड़ो रूपये का फंड भी जारी कर दिया गया है। लेकिन इस नये विद्यायल की नींव रखने से पहले ही इस विद्यालय को DFO की मनमानी ने ग्रहण लगा दिया है।

दरअसल पूरा मामला कटघोरा वन मंडल के पाली क्षेत्रांतर्गत लाफा का है। ग्रामीण जन प्रतिनिधियों द्वारा लाफा में खाली वन भूमि को एकलव्य विद्यालय भवन के लिए चयनित किया गया था। एकलव्य विद्यालय निर्माण के लिए बकायदा केंद्र सरकार से 19 करोड़ रूपये का फंड भी जारी कर दिया गया। कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर ने इस स्कूल भवन का निर्माण इसी वित्तीय वर्ष में शुरू करने को लेकर कलेक्टर सहित दूसरे अधिकारियों से मुलाकात की गयी। जिला प्रशासन की ओर से सारी दस्तावेजी कार्रवाई भी पूरी कर ली गयी। लेकिन एकलव्य विद्यालय भवन निर्माण में कटघोरा की DFO समा फारूखी ने नियमों का हवाला देकर वन भूमि में निर्माण की अनुमति देने में हील हवाला किया जाने लगा। डीएफओं की इस मनमानी को लेकर स्थानीय विधायक ने भी जल्द से जल्द विद्यालय निर्माण की अनुमति जारी करने की बात डीएफओं से कही गयी।

लेकिन ग्राम सभा में चयनित स्थान पर स्कूल बनाये जाने की स्वीकृति होने के बाद भी DFO शमा फारूखी ने ना तो विधायक की बातों को सुना और ना ही सांसद की बात का मान रखा। लिहाजा इस पूरे प्रकरण की जानकारी कलेक्टर रानू साहू को दी गयी, जिसके बाद कलेक्टर ने भी डीएफओं से चर्चा कर विद्यालय भवन की अनुमति जारी करने की बात कही गयी। लेकिन कटघोरा DFO ने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बनने वालेे विद्यालय के बनने से पहले ही उस पर नियम कानून की लकीर खींचकर ग्रहण लगा दिया है। आपको बता दे कि छत्तीसगढ़ के जशपुर, गौरेला-पेंड्रा में भी वन भूमि में एकलव्य विद्यालय के निर्माण के लिए डीएफओं ने अनापत्ति दिये है। लेकिन शायद कोरबा जिला में वन विभाग को दूसरा ही कानून लागू है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि इस वित्तीय वर्ष में स्कूल के लिए भूमि आबंटित नही हुई तो केंद्र सरकार से मिला 19 करोड़ का फंड लेब्स हो जायेगा, और भविष्य में दोबारा एकलव्य विद्यायल के लिए फंड मिलने की गुंजाईश भी नही रहेगी। मतलब साफ है एक अफसर की तानाशाही के कारण क्षेत्र के हजारों बच्चों के सुनहरे भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

DFO की ऐसी ही मनमानी रही तो सीएम से मिलकर करेगें शिकायत – विधायक

कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर ने पाली क्षेत्र में बनने वाले एकलव्य विद्यालय के संबंध में जब जानना चाहा, तो उन्होने स्पष्ट किया कि क्षेत्र के आदिवासी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए लाफा में एकलव्य विद्यायल बनना है। चयनित स्थान में विद्यालय भवन बनाने के लिए ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर पक्ष में निर्णय दिया गया है। ग्राम सभा का निर्णय के बाद भी DFO मैडम भवन निर्माण के लिए अनुमति नही दे रही है, ये समझ से परे है। जब दूसरे जिलों में वन भूमि पर एकलव्य विद्यालय के लिए अनुमति मिल सकती है, तो कोरबा छत्तीसगढ़ से बाहर तो नही है ना……फिर यहां भी विधिवत डीएफओं को अनुमति देनी चाहिए। मैने खुद उनसे गेस्ट हाउस में मुलाकात कर अनुमति देने की बात कही थी, इसके बाद भी यदि डीएफओं अनुमति जारी नही करती है, तो सीएम साहब से मिलकर मामले को संज्ञान में लाया जायेगा, डीएफओं की ये मनमानी बर्दाश्त नही की जायेगी।

DFO शमा फारुखी का शुरू से है विवादों से नाता, अधिकारी और कर्मचारी भी रहते हैं परेशान

कटघोरा DFO शमा फारुखी का यही मामला नहीं बल्कि न जाने उनकी कटघोरा वनमण्डल में पदस्थापना के बाद से आज तक कितने ही मामलों के विवाद में रहने के बावजूद आज तक कटघोरा वनमण्डल में जमी हुई हैं। वजह है कि कहा जाता है कि मैडम की पहुंच ऊपर तक है इस वजह से इतने विवादों में रहने के बाद भी आज तक इनका अन्यत्र ट्रांसफर नही किया जा सका है। यहां पर यह कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही कि “जब सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का”. बतादें की इस मामले के पूर्व भी कटघोरा DFO शमा फारुखी की कार्यशैली को लेकर गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी DFO हटाने को लेकर आंदोलन कर चुके हैं तथा जिला पंचायत अध्यक्ष, क्षेत्र के दोनों विधायक द्वारा भी शिकायत की जा चुकी है लेकिन शासन इस मैडम पर साफ तौर पर मेहरबान नज़र आ रहा है। कटघोरा वन मण्डल के पूर्व भी वे कांकेर व कोंडागांव में पदस्थापना के दौरान विवादों में रहीं है जबकि वे इस जगह SDO के पद पर थीं । जहां तत्कालीन विधायक से भी वाद विवाद का वीडियो जमकर वायरल हुआ था। लेकिन इन सबके बावजूद भी DFO शमा फारुखी आज तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की जा सकी है। DFO शमा फारुखी के अधिकार क्षेत्र में अनेकों कार्य होने के बावजूद प्रत्येक कार्य में विलंब करना इनकी विशेषता दिखाई देती है। और मातहत अधिकारी और कर्मचारी भी मेडम की कार्यशैली को लेकर अक्सर परेशान रहतें हैं। जिसकी वजह से वन मण्डल कटघोरा अक्सर सुर्खियों में बना रहता है।

DFO की मनमानी बर्दास्त नही की जाएगी

“ये समझ से परे है। जब दूसरे जिलों में वन भूमि पर एकलव्य विद्यालय के लिए अनुमति मिल सकती है, तो कोरबा छत्तीसगढ़ से बाहर तो नही है ना……फिर यहां भी विधिवत डीएफओं को अनुमति देनी चाहिए। मैने खुद उनसे गेस्ट हाउस में मुलाकात कर अनुमति देने की बात कही थी, इसके बाद भी यदि डीएफओं अनुमति जारी नही करती है, तो सीएम साहब से मिलकर मामले को संज्ञान में लाया जायेगा, डीएफओं की ये मनमानी बर्दाश्त नही की जायेगी।”

पुरुषोत्तम कंवर
कटघोरा विधायक