कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) हिमांशु डिक्सेना :- छत्तीसगढ़ राज्य में कोरबा जिले को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है। यहां कई छोटी-बड़ी पावर प्लांट स्थापित है, जिसकी वजह से यहां प्रदूषण भी सर्वाधिक है, जिससे जिले वासियों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही दो बड़े प्रबंधनो की एनटीपीसी और सीएसईबी की जिनका राखाड डैम पिछले 5 वर्षों से 17 गांव के ग्रामीणों के लिए मुसीबत का कारण बना हुआ है। कटघोरा क्षेत्र के धनरास व आसपास के लोगों का जीवन अंधकारमय होते जा रहा है, कटघोरा विकासखंड के 17 गांव एनटीपीसी व सीएसईबी के राखड डेमो से प्रभावित है ।यहां के स्थानीय नेता पिछले 5 वर्षों से शासन व प्रबंधन के खिलाफ लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। लेकिन आज तक इनकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा है। उड़ते राखड के गुबार के कारण यहां निवास करने वाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य एवं सांस लेने व दिनचर्या के कामों में कई दिक्कतें आ रही हैं ,लेकिन प्रबंधन अपनी आंखों में पट्टी बांधकर बैठा हुआ है। पिछले तीन-चार दिनों से आंधी तूफान के कारण राखड का गुबार मानो इन्हें कई गंभीर बीमारी देने को आतुर हैं ।ऐसा नहीं है कि यहां के जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई आंदोलन नहीं किया गया हो, यहां के जनप्रतिनिधि बताते हैं कि पिछले 5 वर्षों से कई बार चक्का जाम, धरना प्रदर्शन व अन्य कई आंदोलनकारी कार्यक्रम आयोजित करने के बाद भी प्रबंधन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। और सिर्फ लिखित आश्वासन का झुनझुना इन ग्रामीणों को थमा दिया जाता है ।राखड़ की ठूलाई में लगे बड़े-बड़े ट्रक से सड़क अब चलने योग्य भी नहीं बची है ,सड़क पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। जिससे ग्रामीणों को आवागमन में भी काफी परेशानी हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां का पानी भी राखड़ के कारण दूषित हो गया है जिससे उनका जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।प्रभावित गांव में धनराज, सलीयाभाटा,झोरा, लोतलोता, नवागांव कला सहित 17 गांव प्रभावित हैं। यहां के जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन व प्रबंधन को कई बार अपनी समस्याओं से अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। शासन बड़े-बड़े प्लांट लगाकर क्यों भूल जाती है कि वहां के निवासरत ग्रामीण भी इंसान हैं,
हिमांशु डिक्सेना की रिपोर्ट …..(सेंट्रल छत्तीसगढ़)