कोरबा के करतला में छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार छेरछेरा एक दिन पहले मना गया

कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) :–  छेरछेरा पर्व हर साल पौष माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह छत्तीसगढ़ का एक पारंपरिक त्योहार है. इस साल भी प्रदेश का पारंपरिक त्यौहार छेरछेरा धूमधाम से मनाया जाएगा. कोरबा के रामपुर विधानसभा के करतला गांव में सभी जनप्रतिनिधि, बड़े बुजुर्गों और ग्रामीणों की बैठक हुई. इस बार छेरछेरा त्यौहार गुरुवार को पड़ रहा है. करतला निवासियों ने लक्ष्मी पूजा के कारण छेरछेरा त्यौहार एक दिन पहले ही मना लिया.

करतला में एक दिन पहले मनाया गया छेरछेरा पर्व

मान्यता है कि इस दिन जो भी अनाज का दान करता है, उसे सात जन्मों के बराबर पुण्य का लाभ मिलता है. छेरछेरा का महत्व छत्तीसगढ़ में दिवाली और होली के त्योहार जैसा है. कोई भी परिवार अपने बच्चों को दूसरों से कुछ भी मांगते देखना नहीं चाहते, छत्तीसगढ़ में साल में एक ऐसा दिन आता है, जब परिवार के लोग खुद बच्चों को तैयार करते हैं. बच्चे घर-घर जाकर नजराना मांगते हैं. वहीं लोग भी बच्चों को उत्साह पूर्वक दान देते हैं.

यहां छोटे-छोटे बच्चे घर-घर जाकर छेरछेरा की आवाज लगा कर दान मांगा. घरों के मुखिया ने बच्चों को दान के रूप में धान दिया. करतला गांव में छेरछेरा का त्योहार उत्साह पूर्वक मनाया गया.

गुरुवार को होती है माता लक्ष्मी की पूजा

ग्रामीणों को कहना यह भी है कि गुरुवार को माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, इसीलिए ग्रामीण नहीं चाहते कि लक्ष्मी पूजा के दिन घर से किसी प्रकार की लक्ष्मी को बाहर करें. करतला निवासी एक बुजुर्ग ने यह भी बताया कि गुरुवार को अधिकतर करतला निवासी लक्ष्मी जी की उपासना करते हैं. उस दिन मांस मदिरा का सेवन नहीं करते, इसलिए करतला निवासी 1 दिन पहले छेरछेरा का त्यौहार मना रहे हैं.