कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़) :- पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड व पाली तानाखार विधानसभा के अन्य गांव व शहरों का कितना भी विकास हो रहा हो, पर ग्राम पंचायत दर्राभाठा गांव के लिए तो यह कोई मायने नहीं रखता। इस गांव के लोग आज भी पक्के रोड की राह का इंतजार कर रहे हैं। मामला मात्र एक से डेढ़ किलोमीटर सड़क का ही है, लेकिन आजादी के 74 वर्ष बाद भी इस गांव में सड़क नहीं है। कोरबा जिले के पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड स्थित ग्राम पंचायत दर्राभाठा के आश्रित ग्राम केनाडांड इस गांव के वाशिंदों समेत अन्य लोगों ने मीडिया से रूबरू होते हुए बताया कि सड़क के अभाव में गांव का विकास थम गया है। इस बारे में कई बार जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित करवाया, पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। यहां तक कि जिला कलेक्टर के पास भी ग्रामीणों द्वारा इस गाँव की मूलभूत सुविधाओं को लेकर कई दफा गुहार लगाई जा चुकी है लेकिन न ही प्रशासन और न ही क्षेत्रीय विधायक का इस ओर ध्यान दिया जा रहा है।
ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को लेकर बताया की बस महज एक से डेढ़ किलो मीटर की सड़क बनने और गाँव की समीप बहने वाली नदी पर पुल बनने से इस गाँव की काफी हद तक समस्या का निराकरण हो जाएगा लेकिन वर्षों से इस समस्या को लेकर पाली तानाखार के पूर्व विधायक राम दयाल उइके से भी इस बड़ी समस्या से अवगत कराने के बाद भी इस समस्या से ग्रामीणों की निजात नही मिली है। वर्तमान विधायक मोहितराम केरकेट्टा से भी इस समस्या से अवगत कराया जा है लेकिन अभी तक इस ओर कोई पहल नही की गईं है। वर्षोँ पुरानी इस समस्या को लेकर ग्राम दर्राभाठा तथा केनाडांड के ग्रामीण जिला कलेक्टर कोरबा को भी अवगक्त कराया गया लेकिन आज तक इस ओर प्रशासन ने भी कोई कदम नहीं उठाने का प्रयास किया है। लेकिन इसके बाद सड़क नहीं होने से गांव के लोगों को पैदल आना जाना पड़ता है। बरसात में दलदल और कीचड़ के कारण मुश्किल बढ़ जाती है। बच्चे स्कूल नही जा पाते है।इस पंचायत के अधीन आने वाले शेष गावों में सड़क है। प्रशासन व जनप्रतिनिधि इस गांव के विकास पर क्यो ध्यान नहीं दे रहे यह एक सोचनीय विषय है।
गर्भवती महिलाओं को होती परेशानी.. खाट से पहुंचाते है महतारी एक्सप्रेस तक..
इतना ही नहीं ग्राम पंचायत दर्राभाठा के आश्रित ग्राम केनाडांड की महिला पंच छत कुमारी महंत का कहना है कि गांव में अस्पताल नहीं है इस स्थिति में प्रसव पीड़ित महिला को ले जाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 112 महतारी एक्सप्रेस को बुलाने पर वाहन गाँव नही पहुंच पाता हैं जिसकी वजह से चारपाही पर बिठाकर पैदल ही ले जाना पड़ता है। बरसात में आधे से एक फीट दलदल, कीचड़ व फिसलन हो जाती है, इस स्थिति में मुश्किल और भी बढ़ जाती है। गांव के बच्चे दूसरे जगह बिसनपुर, सलोरा और कटघोरा में पढऩे के लिए जाते हैं। हालातों के चलते बच्चों को कीचड़ से होकर जाना पड़ता है, बेटियों के लिए समस्या और भी बढ़ जाती है। कोई पढऩा भी चाहे तो हर दिन उबड़खाबड़ राह पर परीक्षा देनी पड़ती है। लोगों ने बताया कि जनप्रतिनिधि आस पास के गांवों में आकर चले जाते हैं, लेकिन आज तक यहां झांकने भी नहीं आते। लोगों ने बताया कि अब यदि जल्द गांव में पुल व सड़क नहीं बनी तो ग्रामीण अब सख्त निर्णय लेने को मजबूर हो जाएंगे। और अपनी लड़ाई सड़क पर उतर कर लड़ने की मंशा बना रहें हैं।
ग्रामीणों ने मिलकर खुद बनाया निकासी के लिए दो फीट चौड़ा पुल..जान जोखिम में डालकर करते हैं पार
ग्राम पंचायत दर्राभाठा के आश्रित ग्राम केना डांड के ग्रामीणों ने बारिश में असुविधा के चलते एक दो फिट छोटी से पुलिया का निर्माण कराया है। जिससे पैदल चलने वालों को नदिया पार करने में आसानी हो। लेकिन इन सबके बावजूद कीचड़ और दलदल का सामना करना ही पड़ता है। और जान को जोखिम में डालकर पुलिया पार करने को मजबूर होना पड़ता है।
अंडमान निकोबार से कम नहीं है ये गाँव
ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुए बताया कि ग्राम पंचायत दर्राभाठा तथा इसी का आश्रित ग्राम केनाडांड पूरी तह से अंडमान निकोबार की तरह हो गया है। बारिश में यह गाँव पूरी तरह पहुंचविहीन हो जाता है। जबकि बायपास मार्ग से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी और कटघोरा शहर से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी होने पर भी यह गाँव आज विकास से कोसो दूर है। वजह हक़ी तो केवल यहां कब जनप्रतिनिधि और प्रशासन, इनकी नज़र अंदाज़ी का खामियाजा यहां के ग्रामीण भुगत रहे हैं।
क्षेत्रीय जनपद सदस्य को नही है कोई सरोकार.. सीसी रोड भी 6 माह में हुई जर्जर
ग्राम पंचायत दर्राभाठा तथा केनडांड के रास्ते में घुँचापुर में लगभग 100 मीटर सीसी रोड का निर्माण यहां के जनपद सदस्य छतर साय के द्वारा कराया गया लेकिन महज़ 6 माह के अंतराल में ये सड़क अपना अस्तित्व खोने की तैयारी में नज़र आ रही है। ग्रामीणों ने बताया कि जनपद सदस्य के द्वारा इस समस्या पर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है। जिसे लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।
पीने के पानी की समस्या से जूझना पड़ता है ग्रामीणों को
ग्रामीणों ने बताया कि की ग्राम पंचायत दर्राभाठा तथा आसपास के ग्रामीणों को पीने के पानी की समस्या से काफी जूझना पड़ता है। गर्मी के मौसम में पीने के पानी के लिए दूर दूसरे गावों से पानी लाना पड़ता है। बाकी समय कुँए या ढोढ़ी का पानी पीना पड़ता है। गांव में कुछ हैंडपम्प है तो लेकिन वो या खराब रहते हैं या फिर गर्मी में पूरी तरह सूख जाते हैं। यहां शासन की महत्वपूर्ण योजना में से एक नल जल योजना अभी ग्रामीणों के लिए किसी सपना से कम नहीं है।
राज्य सरकार जहां एक पूरे राज्य में विकास को लेकर बड़े बड़े दावे करते नहीं थक रही है, वहीं ऊर्जा नगरी कोरबा जिले के ग्रामीण अंचल का हाल बद से बदतर नज़र आ रहा है। यह तो एक गाँव का मामला है न जाने दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों के ग्राम पंचायतों का क्या हाल होगा, वजह है तो केवल प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों की उदासीनता। ग्रामीण अपने क्षेत्र के विकास तथा मूलभूत सुविधाओ को लेकर अपना बहुमूल्य मत का प्रयोग कर अपना नेता चुनते हैं लेकिन वही नेता सत्ता में आने के बाद ना जाने इन भोले भाले ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा भी मुहैया नहीं करा पाते और ग्रामीण चुनाव के बाद अपने आप को ठगा महसूस करते हैं