कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) :- कोरबा जिले के धुर वनांचल और मैदानी इलाकों में वन्यप्राणियों का रहवास, आवागमन, विचरण और उत्पात कोई नई बात नही है. करीब एक दशक से कोरबा जिले का वन्यक्षेत्र जंगली जानवरों के लिए सुरक्षित पनाहगार बना हुआ है. इन वन्यप्राणियों में दंतैल हाथियों के अलावा भालू, हिरण, जंगली सूअर और दूसरे जीव जंतु भी सहज नजर आ जाते है. कोरबा व कटघोरा वनमंडल के परिक्षेत्रों में ये ना सिर्फ निवासरत है बल्कि बड़े पैमाने पर जनधन को नुकसान भी पहुंचा चुके है. हालांकि शहरी इलाको में इनकी आमदरफ्त काफी कम है. यदा कदा ही या जीव लक्षण रेखा पार कर शहरी क्षेत्रों में दाखिल होते है. बावजूद कटघोरा वनमण्डल क्षेत्र में दो दिन पहले एक जंगली भालू की मौजूदगी की खबर भर से आसपास के लोगो मे दशहत का माहौल है. कुछ युवकों ने जंगली भालू की गतिविधि को अपने कैमरे में भी कैद कर लिया और सोशल मीडिया पर भी यह क्लिप वायरल भी हो चुका है.
इससे जुड़े वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक भालू कटघोरा-अम्बिकापुर हाइवे पर चंदनपुर के पास फोरलेन सड़क को पार करता नजर आ रहा है. यह पूरा नजारा रात का है. हालांकि यह साफ नही की यह फुटेज कब की है. पुष्टि करने पर इसे दो-तीन दिन पुराना बताया जा रहा है. फुटेज में देखा जा सकता है की भालू अकेले ही इत्मीनान से सड़क पार कर रहा है. वही इस दौरान वाहनों का आना-जाना भी जारी है. संयोगवश वह किसी भारी वाहन की चपेट में नही आया, ना ही किसी राहगीर से उसकी भिड़ंत हुई.
लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि भालू के शहर के आवासीय क्षेत्र में आमदरफ्त और घुसपैठ की खबर क्षेत्रीय वनमंडल के कर्मियों को भी नही है. उस इलाके में वन्य गतिविधियों पर बारीक नजर रखने वाले एक बीटगार्ड ने इस पूरे मामले से अनभिज्ञता जाहिर किया है. उन्होंने इस घटना की सूचना शीर्ष अफसरों को दिए जाने की बात कही है.
गौर करने वाली बात है कि जिस जगह पर भालू को देखा गया है वहां आधे दर्जन मकान स्थित है. इसके अलावा कई दुकाने भी आसपास संचालित है. ऐसे में भालू जैसे वन्यप्राणी की चहलकदमी खुद भालू के साथ आमलोगों के लिए खतरे की वजह बन सकता है.
अवैध कब्जे व अंधाधुन निर्माण से परेशान है वन्यजीव.
वनमंडल में पदस्थ एक कर्मी ने बताया है कि जिस जगह पर कथित तौर पर भालू देखा गया है उसके आसपास का इलाका कभी सघन वनक्षेत्र हुआ करता था. यहां बारहमासी नदियों के बहाव और दूसरे जलस्त्रोत भी मौजूद है. जाहिर है ऐसे माहौल में वन्यजीव स्वछंद विचरण करते रहे है. उन्हें शहरी इलाकों में घुसपैठ की जरूरत नही होती थी. लेकिन कुछ वर्षों से अमाखोखरा, रामपुर, चंदनपुर, मानपुर, तानाखार, जैसे इलाको में अंधाधुन तरीके से मकानों का निर्माण हुआ. स्थिति यह है कि इन वनक्षेत्रों में आज के घनी बस्तियां बस गई है. यही वजह है कि जीव जंतुओं के लिए यहां रहवास का नया संकट पैदा हो गया है. वे मानव-हाथी अथवा मानव-भालू के बीच द्वंद की वजह भी इस तरह के बेजा निर्माण के लिए जंगलों को पहुंचाए गए नुकसान को मानते है. उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कितने भालू है इसका कोई ठोस रिकार्ड तो उनके पास नही फिर भी इनकी संख्या आधे से एक दर्जन के बीच है जो कटघोरा रेंज के इस बीट में अक्सर देखे जा सकते है. संयोगवश इस आमदरफ्त के बावजूद कभी इनकी मुठभेड़ मानवों से नही हुई.