कोरबा: 19 दिन बाद भी ठीक नहीं हुआ हाथी, रेस्क्यू सेंटर ले जाने की तैयारी


कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़़) साकेत वर्मा:
– गुरमा में पिछले 19 दिनों से औंधे मुंह पड़े बीमार हाथी की सेहत में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हो पा रहा है. वन विभाग के तमाम प्रयासों के बाद भी हाथी अब तक अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया है. विशेषज्ञों ने एक नया सुझाव दिया है. उनकी थ्योरी है कि चिकित्सा गतिविधियों के बीच वह लगातार मानवों से घिरे रहने से हाथी डर महसूस कर रहा है. इसलिए अब घायल हाथी को दूसरे कुमकी हाथियों की ओर से टच थैरेपी दी जाएगी. इसके लिए विभाग ने हाथी को सरगुजा संभाग के तामीर पिंगला स्थित रेस्क्यू सेंटर ले जाने अनुमति मांगी है.

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19 दिन बाद भी ठीक नहीं हुआ हाथी

विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रेस्क्यू सेंटर में पहले से मौजूद कुमकी हाथियों के बीच रहकर, उनका स्पर्श पाकर घायल हाथी को अच्छा लगेगा. साथ ही उसे स्वस्थ होने में मदद मिलेगी. बीमार हाथी के इलाज में लगातार जुटे रहने के बाद भी उसकी सेहत में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है. इसे लेकर वन अमले की चिंता बढ़ गई है. वन्य प्राणी विशेषज्ञों और डॉक्टरों की टीम लगातार बीमार हाथी का इलाज कर रही है. इसके बावजूद हाथी स्वस्थ नहीं हो सका है.

विशेषज्ञों ने हाथी के इलाज के लिए जंगल में डाला डेरा

हाथी को बीमार हुए 19 दिन गुजर चुके हैं. बीमार होने से बेहोश होकर गिरने की तारीख से लेकर अब तक वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और जंगल सफारी के विशेषज्ञों ने उसके इलाज के लिए जंगल में डेरा डाल रखा है. इलाज के दौरान ग्लूकोज सलाईन चढ़ाने से लेकर विभिन्न प्रकार की दवाईयां और थेरेपी उसे दी जा चुकी है, लेकिन सिवाए स्वयं से चारा खाने के उसके स्वास्थ्य में कोई विशेष सुधार दर्ज नहीं किया जा सका है.

लाखों खर्च, कई परीक्षण पर नतीजा सिफर
बीमार हाथी के इलाज में अब तक लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन उसकी सेहत में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है. इस बीच पहले उसके पेट में कृमि की बात बताई गई, इसके बाद उसका एक्स-रे टेस्ट भी किया गया. उसे उठाने की भरसक कोशिशें की गई फिर पल्मोनरी इंफेक्शन की जांच करने उसका बलगम सैंपल लेकर भी जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. ऐसे में वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है. 18 दिन गुजर जाने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी बीमार हाथी की सेहत में सुधार की ठोस बात कहने से बच रहे हैं.

लगातार लेटे रहने से शरीर में उभर आए घाव
बताया जा रहा है कि बीमार हाथी के लगातार लेटे रहने की वजह से उसके शरीर में भी जगह-जगह घाव उभर आए हैं. एक ओर उसे अंदर की बीमारी ने कमजोर कर रखा है तो बाहर से नई परेशानियों के आने से स्वास्थ्यगत मुश्किलें बढ़ती जा रहीं. विशेषज्ञों का कहना है कि उसकी हालत ऐसी हो चली थी कि, मुंह में छाले और अन्य कारणों से वह स्वयं से भोजन कर पाने में अक्षम हो चला था, जिसकी वजह से उसका आहार न के बराबर हो गया. वह काफी ज्यादा कमजोर हो गया. जब तक उसकी कमजोरी दूर नहीं होगी और वह खड़ा नहीं हो पाएगा.

170 किलोमीटर दूर जाने की चुनौतियों पर विचार
विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर भेजे गए प्रस्ताव पर अभी वन विभाग विचार करेगा. यह भी देखा जा रहा है कि बीमार हाथी सफर करने लायक है या नहीं. कोरबा से सूरजपुर के तमोर पिंगला हाथी पुनर्वास केंद्र की दूरी करीब 170 किलोमीटर है. इस बीच न केवल दूरी व मौसम की समस्या है, खस्ताहाल सड़क भी बड़ी चिंता का विषय है. ऐसे में बीमारी के चलते पहले से जूझ रहे इस हाथी को इतना लंबा सफर बर्दाश्त करने लायक होना भी जरूरी है. इसलिए पहले बीमार हाथी की मौजूदा सेहत और स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसे कम से कम 4 से 5 घंटे के इस सफर पर भेजने से पहले गहन विचार-विमर्श एवं विशेषज्ञों की राय का होना अनिवार्य है, जिसके अनुसार प्रस्ताव पर निर्णय लिया जा सकेगा.

साकेत वर्मा की रिपोर्ट