कृषि बिल 2020 के खिलाफ किसानों का आक्रोश, आइफा (AIFA) ने केन्द्र सरकार को दिए 7 सुझाव..


रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) :
 कृषि बिल के देशव्यापी विरोध में छत्तीसगढ़ में आइफा (AIFA) से जुड़े किसानों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है. कोरोना के चलते किसानों का ये विरोध प्रदर्शन सड़क पर नहीं हुआ. आइफा ने किसानों से आह्वान किया है कि जो जहां है वहां से ही अपना विरोध जताएं. कोंडागांव स्थित अखिल भारतीय किसान महासंघ के छत्तीसगढ़ के सचिवालय में छत्तीसगढ़ के अलावा विभिन्न प्रांतों के किसान प्रतिनिधि और प्रगतिशील किसान जुटे. बैठक में मुख्य रूप से केंद्र शासन की ओर से पारित किए गए तीनों कृषि बिलों की विसंगतियों और तीन दिवसीय देशव्यापी किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा हुई.

अखिल भारतीय किसान महासंघ के संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि सरकार अगर किसानों का भला करना चाहती है तो किसानों से बात करे और उसके बाद बिल बनाया जाए. जिसमें किसानों का, व्यापारियों का और कार्पोरेट सभी का भला हो सके. आइफा का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि समर्थन मूल्य को खत्म नहीं किया जाएगा, तो इस बात को कानूनी जामा सरकार को पहनाना चाहिए. ताकि किसानों के मन में किसी तरह की आशंका न रहे.

आइफा ने दिया 7 सूत्रीय फार्मुला

  • AIFA ने किसान संगठनों और सरकार के बीच विभिन्न स्तरों पर गतिरोध को देखते हुए, इन अध्यादेशों में जरूरी सुधार के लिए एक सात सूत्रीय सुझाव पत्र दिया है.
  • किसानों की आय बढ़ाने बढ़ाने के लिए सरकार स्वामीनाथन कमीशन की संस्तुति के मुताबिक उत्पादन लागत (C2 ) का डेढ़ गुना दिया जाना सुनिश्चित करे.
  • अनुबंध खेती में किसानों को भुगतान की गारंटी बैंक या सरकार प्रदान करे. किन्ही भी हालत में फसल के खराब होने या उत्पादन में कमी आने का जोखिम अनुबंध खेती करवाने वाली संस्था/ कंपनी वहन करे.
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी को जारी रखने की गारंटी देते हुए, तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दर पर खरीदी को दंडनीय अपराध माना जाए.
  • किसानों के साथ अनुबंध में विवाद की स्थिति में विवादों के निपटारे के लिए, निशुल्क न्याय देने के लिए, जिला, प्रदेश और केंद्र स्तर पर एक पर्याप्त अधिकार प्राप्त ‘विवाद निपटारा समिति’ का गठन किया जाए. जिसमें अनिवार्य रूप से दो तिहाई संख्या में स्थानीय किसान प्रतिनिधियों को किसान की अध्यक्षता में सम्मिलित किया जाए.
  • आयकर जीएसटी जैसे विभागों के द्वारा प्रगतिशील किसानों को अनावश्यक परेशान किया जाना बंद किया जाए.
  • कृषि लागत और मूल्य आयोग सीएसीपी को वैधानिक दर्जा दिया जाए. साथ ही उसमें किसानों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाए.
  • तीनों कृषि बिलों के साथ ही साथ विद्युत संबंधी सुधार बिल और रासायनिक दवाओं के बिलों पर किसान संगठनों के साथ सभी संबंधित हितधारकों से आधिकारिक चर्चा कर किसान विरोधी प्रावधानों को हटाया जाना सुनिश्चित किया जाए.