कांकेर (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): जिले में पिछले एक सप्ताह से लॉकडाउन है. लगभग सभी काम बंद है. ऐसे में एक बार फिर मनरेगा मजदूरों के लिए काफी लाभकारी सिद्द हो रहा है. जिले की 454 ग्राम पंचायतों में से 355 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत 40 से 45 हजार मजदूर मनरेगा में काम कर रहे हैं. कोविड 19 के तहत शासन की 12 बिंदु के तहत निर्देशों का पालन करते हुए काम कराया जा रहा है.
तालाब खुदाई व डबरी निर्माण का काम
कांकेर के कोदागांव में जिला पंचायत सीईओ ने मनरेगा काम के तहत तालाब खुदाई व डबरी निर्माण शुरू कराया है. वे खुद मौके पर जाकर काम का निरीक्षण भी कर रहे हैं. निरीक्षण के दौरान कोदा गांव में तालाब निर्माण और डबरी काम में 195 मजदूर काम कर रहे हैं. CEO ने मजदूरों से बात की और उनका हालचाल जाना. इसके साथ ही मजदूरी भुगतान के संबंध में जानकारी भी ली.
कोरोना गाइडलाइंस के बीच मनरेगा का काम
सभी मजदूरों को मनरेगा काम के तहत अनिवार्य रूप से मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और बार-बार हाथ धोने के निर्देश दिए गए है. ऐसे गांवों में मनरेगा के तहत काम नहीं कराए जा रहे है जहां 5 से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव है. प्रशानिक अमला भी इन पर मुस्तेदी से नजर बनाए हुए है. लॉकडाउन में मनरेगा मजदूरों के लिए बड़ा सहारा बना हुआ है.
पिछले साल भी बना था सहारा
पिछले लॉकडाउन में महामारी के मौजूदा संकट काल में यह योजना न सिर्फ रोजगार देने वाली, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संचालक बनने का दावा किया गया था. शहरों से वापस घर की ओर लॉकडाउन के दौरान लौटे मजदूरों के चलते मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की संख्या में काफी इजाफा हुआ था. कांकेर जिले के 7 ब्लॉक कांकेर, चारामा, नरहरपुर, भानुप्रतापपुर, दुर्गुकोंदल, अन्तागढ़, कोयलीबेड़ा में औसत 36 हजार दौ सौ नब्बे मजदूरों को मनरेगा में काम मिला था.
कांकेर में कोरोना और लॉकडाउन
कांकेर जिले में भी 5 मई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है. जिल में रविवार को 447 नए कोरोना संक्रमित केस आए. 3 लोगों की मौत हुई है. जिले में एक्टिव केस की संख्या 3487 है.