कठिन डगर के कारण माता का दरबार हुआ प्रभावित,दर्शनिक दैवीय स्थलों तक नही पहुँच पा रहे दूर-दराज से श्रद्धालु

हिमांशु डिक्सेना *कोरबा:-* शारदीय नवरात्र के इस भक्तिमय माहौल में समूचा जिला डूबा हुआ है।जहाँ जगह-जगह पंडालों में विशेष सजावट और माँ की प्रतिमा विराजमान करने के साथ ही विभिन्न दर्शनिक स्थानों पर विराजमान माता के दरबार में भी जंवारा एवं कलश प्रज्वलित करने तथा जसगीतों के साथ यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।लेकिन शायद ऐसा पहली बार हो रहा है जब दूर दराज के श्रद्धालुओं के ना पहुँच पाने की वजह से माता दरबार प्रभावित हुआ है।ऐन नवरात्र के समय भारी बारिश की वजह से जिले के अनेक प्रमुख मार्गों की हालत बेहद दयनीय एवं निर्मित पुराने पुल-पुलिया के बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने के कारण अन्य जिलों से संपर्क टूट जाने से बाहर से आने वाले श्रद्धालुगण उपेक्षित हुए है।मौजूदा समय में कोरबा जिले का संपर्क लगभग सभी बाहरी इलाकों से टूट चुका है।जो अभूतपूर्व स्थिति पैदा कर दी है।हालाकि सड़क व पुल पुलियों का मरम्मत कर किसी तरह आवागमन बहाल करने का प्रयास प्रशासन द्वारा लगातार जारी है।लेकिन स्थिति कब तक सामान्य हो पाएगी यह कह पाना मुश्किल है।ऐसे में लोग आपातकाल आवागमन करने के लिए व्यकल्पिक राहों का सहारा ले रहे है।जिले में प्रख्यात माँ मड़वारानी,सर्वमंगला मंदिर,कोसगाई देवी,चैतुरगढ में विराजमान माँ महिषासुर मर्दिनी सहित अन्य देवी स्थल जहाँ शारदीय एवं चैत्र नवरात्र में छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों सहित विदेशों के श्रद्धालुओं द्वारा भी आस्था के दीप प्रज्वलित कराने के साथ ही दर्शन हेतु पहुँचने वाले भक्तगणों का पुरे नौ दिन तक तांता लगा रहता है।किन्तु जिन मार्गों से होकर इन ऐतिहासिक दैवीय स्थलों तक पहुँचा जा सके उन मार्गों की दम तोड़ चुकी हालत एवं जोड़ने वाले सेतु के क्षतिग्रस्त हो जाने से इस बार जिस तरह के हालात निर्मित हो चुके हैं उससे यह संभव नहीं लग रहा कि इस वर्ष अन्य जिलों के श्रद्धालु उक्त दैवीय एवं दर्शनिक स्थलों तक दर्शन के लिए पहुंच पाएं।क्योंकि जिले के मार्गों पर चलना वर्तमान में जोखिम भरा फैसला साबित हो रहा है।जहाँ सड़के किसी भी हालत में पैदल चलने लायक नही बची रह गई है।कीचड़ व निर्मित बड़े बड़े गड्ढों के कारण संभल कर यहां गाड़ी चलाने के बावजूद गाड़ियां गड्ढे एवं कीचड़ में फस रही है।मरम्मत के नाम पर जो गिट्टी मटेरियल गड्ढों में डाला गया था।भारी वाहनों की लगातार आवाजाही के फलस्वरूप सड़क की हालत और भी बद से बद्तर हो गई।और यही कारण है कि इस नवरात्र में पहली बार दैवीय स्थलों की यात्रा हर हाल में दुर्गम साबित हो गई है।और दर्शनार्थियों की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से कमी आयी है।फिलहाल सुधार कार्य को लेकर जिला प्रशासन गंभीर है किंतु जर्जर और कीचड़ युक्त मार्ग के साथ साथ क्षतिग्रस्त पुल पुलिया के इतने जल्दी बेहतर होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।जिसके कारण इस बार माता भी अपने दरबार में सभी भक्तों के ना पहुँच पाने से उपेक्षित रहेगी।