कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): पेशा कानून, 5वीं अनुसूची को जिलेभर में प्रभावी ढंग से लागू करने. आरक्षण में आदिवासी समाज को प्रमुखता देने व कटघोरा अनुविभाग को जिले का दर्जा दिलाये जाने सरीखे 11 सूत्रीय मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज के नेताओ ने जेंजरा बाईपास चौक में धरना प्रदर्शन करते हुए आर्थिक नाकेबंदी की थी. यह पूरी नाकेबंदी एकदिवसीय था हालांकि पुलिस व प्रशासन की समझाइस के बाद करीब दो घण्टे के भीतर चक्काजाम समाप्त कर दिया गया. प्रशासन के अफसरों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए सभी मांगो को जल्द पूरा कराए जाने की मांग की. इस दौरान कॉमर्शियल भारी वाहनों की आवाजाही घण्टे भर के लिए प्रभावित रहा. कानून व्यवस्था के मद्देनजर मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी. कटघोरा समेत बांगो, पाली के थाना प्रभारी भी तैनात रहे.
मिडियाजनों से बात करते हुए सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख व सिरली पंचायत के सरपंच सेवकराम मरावी ने प्रदेश व केंद्र सरकार पर चौतरफा हमला बोलते हुए उनपर आदिवास समाज की अनदेखी का आरोप लगाया. सेवकराम ने बताया कि समाज की तस्वीर और दशा दिशा बदलने के लिए उनके समाज ने सरकार ही बदल दिया. उन्हें उम्मीद थी कि पुरानी सरकार के उलट कांग्रेस की नई सरकार क्षेत्र के आदिवासियों की सुध लेगी. लेकिन आज शासन के गठन को ढाई साल से ज्यादा समय बीत चुका है बावजूद समुदाय के हितकारी ज्वलन्त मांग और मुद्दों पर किसी तरह की कार्रवाई नही हुई है. आदिवासी समुदाय आज खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है. कोरबा जिला जो कि उर्जाधानी है वहां आदिवासी सबसे ज्यादा उपेक्षित है. इसी असहनीय उपेक्षा को देखते हुए सरकार को नींद से जगाने के लिए एकदिनी आर्थिक नाकेबंदी और धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा गया था. पूरा प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा. सरकार को ग्यारह सूत्रीय मांगों के सम्बंध में ज्ञापन दिया गया है. मांगो के पूरा नही होने की दशा में आदिवासी समाज पैदल ही रैली के रूप में हजारों आदिवासी भाई-बहनों के साथ राजधानी कूच करेगा. सेवकराम मरावी ने मौजूदा सरकार को कसाई की संज्ञा देते हुए तंज भी कसा.
वरिष्ठ आदिवासी नेता श्यामलाल मरावी ने कहा कि समाज का यह आंदोलन स्थानीय नही बल्कि राज्यव्यापी है. सभी 32 जिलो में आदिवासी समाज अपने अधिकारों के लिए आंदोलनरत है. सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाए हुए कहा कि चुनाव से पूर्व बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई थी. प्रदेशभर के अनूसूचित क्षेत्रो में पेसा एक्ट को लागू करने, पांचवीं अनुसूची को प्रभावशील करने की बात हुई थिलेकिं ऐसा नही हुआ. रेत खदानों के आबंटन पर भी पंचायतों के अधिकारों पर उन्होंने कटाक्ष किया. इसी तरह जनपद पंचायत कटघोरा के उपाध्यक्ष रामप्रसाद कोर्राम ने दो मांगो पर चर्चा करते हुए शासन का ध्यान आकृष्ट कराया. आदिवासी जनो के विकास और कल्याण के लिए कटघोरा को जिले का दर्जा दिए जाने की मांग सामने रखी साथ ही जेन्जरा चौक का रानी दुर्गावती चौके के तौर पर अधिकारिक घोषणा कर यहां उनकी प्रतिमा स्थापित कराए जाने की मांग की. इस प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में आदिवासी संगठनों से जुड़े नेता, कार्यकर्ता, समाजसेवी, महिलाएं व युवा शामिल रहे.