कोरबा/कटघोरा 5 सितंबर 2022( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : कटघोरा नगर में “कटघोरा का राजा” जय देवा गणेशोत्सव समिति द्वारा आयोजित भजन संध्या में अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध भजन गायिका शहनाज़ अख्तर ने मनभावन प्रस्तुतियां दी। समिति द्वारा आयोजित अग्रसेन भवन कटघोरा में आयोजित भजन कार्यक्रम लोगों जनसैलाब उमड़ पड़ा। भीड़ को काबू करने में पुलिस प्रशासन को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। कार्यक्रम अग्रसेन भवन के पूर्व स्टेडियम ग्राउंड में होना था परंतु मौसम खराब होने की स्थिति में कार्यक्रम स्थल का बदलाव कर समिति द्वारा अग्रसेन भवन में आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इस भजन कार्यक्रम में शहनाज़ अख्तर के भजनों पर जमकर झूमें।
कार्यक्रम की शुरुआत में शहनाज़ ने आये तुम्हरे द्वार है गणराया से किया इसके बाद ‘ये भगवा रंग, जिसे देख जमाना हो गया दंग, जिसे ओढ़ के नाचे रे बजरंग’ पर झूमा शहर…। भजन के साथ भजन गायिका शहनाज अख्तर ने रविवार रात में सहयोगी कलाकारों के साथ जब मंच पर प्रस्तुति दी तो उपस्थित हजारों श्रद्धालु जमकर झूमे। ज्यों-ज्यों शहनाज अख्तर ने भजनों और गीतों की प्रस्तुति दी श्रद्धालुओं पर भगवा रंग चढ़ता गया। कार्यक्रम के अंत में तो हजारों महिला-पुरुष और बच्चों के साथ ही आयोजक गण जय देवा गणेशोत्सव समिति के सदस्य भी मंच पर शहनाज अख्तर के भजनों पर खूब झूमे।
भजन संध्या में देर रात भजन व सांस्कृतिक कार्यक्रम से शहर का माहौल भजन और नृत्य से रोमांचित हो उठा। भजन गायक शहनाज अख्तर द्वारा ‘पांव पैजनियां, पांव पैजनियां…’, ‘भोले हो गए टनाटन…’, ‘उनके हाथों में लग जाए ताला…’, ‘मेरी मैया की चुनर उड़ी जाए…’ सहित अनेक गीतों की प्रस्तुति दी। भजनों की प्रस्तुति के दौरान हजारों श्रोताओं ने तालियां बजाकर उनका साथ दिया।आयोजन स्थल दर्शकों से खचाखच भरा रहा।
मुस्लिम समुदाय होने के बावजूद हिन्दू भजनो से मिली प्रसिद्धि
मुस्लिम परिवार में जन्मीं शहनाज हिंदू देवी-देवताओं के भजन गाती हैं। वो 10 साल की उम्र से ही भजन गा रही हैं। लेकिन मुस्लिम होने के चलते उन्हें इसके लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके खिलाफ फतवा तक जारी हो गया, लेकिन उन्होंने भजन गाना नहीं छोड़ा।शहनाज ने भजन गाने की तालीम नहीं ली है। वो बचपन में अपने टेप रिकॉर्डर पर भजन सुनती थी। फिर वो उसे गुनगुनाने लगी और उन्होंने इसे ही अपना करियर बना लिया। शहनवाज का मानना है कि जिसमें उनका दिल लगता है उसे गाने में क्या बुराई।शहनाज ने भजन गाने की तालीम नहीं ली है। वो बचपन में अपने टेप रिकॉर्डर पर भजन सुनती थी। फिर वो उसे गुनगुनाने लगी और उन्होंने इसे ही अपना करियर बना लिया। शहनाज़ का मानना है कि जिसमें उनका दिल लगता है उसे गाने में क्या बुराई।
मंदिर जाने से कोई परहेज नहीं
शहनाज अख्तर मंदिर जाने में कोई परहेज नहीं करती। वो कहती हैं कि उन्हें ना तो मंदिर जाने से एतराज है और न ही ना ही देवी-देवताओं से। वे कहती हैं कि मुझे भजन गाने के कारण देवी मां की कृपा से इतनी पहचान मिली है, इसलिए मैं उनका आशीर्वाद लेने अक्सर मंदिर जाती हूं।