कटघोरा : लघु वनोपज सहकारी समिति का एक दिवसीय निर्वाचन कार्यशाला हुआ सम्पन्न..समिति के अनुविभाग अधिकारी की मौजूदगी दिया गया प्रशिक्षण…

कटघोरा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) हिमाशु डिक्सेना : प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समिति कटघोरा वन मण्डल द्वारा निर्वाचन से संबंधित कार्यशाला का कटघोरा के कसनिया डिपो के रेस्ट हाउस में आज सम्पन्न हुआ. आज के प्रशिक्षण कार्यशाला में कोरबा जिले सभी रेन्ज के अधिकारी, रायगढ़, जांजगीर चापा के सभी अधिकारी उपस्थित रहे.

प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समिति के अनुविभागीय अधिकारी देवाशीष भद्रा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 902 समितियां संचालित है जिनकी निर्वाचन प्रक्रिया अप्रैल 2021 में समाप्त हो रही है जिसे लेकर वोट समिति व निर्वाचन की प्रक्रिया के लिए आज कटघोरा में निर्वाचन संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया है. निर्वाचन प्रक्रिया दो चरणों में होती है जिसमें सदस्यता सचिव को अंतिम रूप दिया जाता है जिसको रजिस्ट्रीकरण अधिकारी नियुक्त करते हैं इसके बाद निर्वाचन कार्यक्रम जारी कर वोट की निर्वाचन प्रक्रिया पूरी करतें हैं. जिसमें वोट संचालक मंडल एवं प्रतिनिधियों के निर्वाचन होता है इसके बाद द्वितीय चरण के निर्वाचन प्रक्रिया को 26 अप्रैल 2021 के पूर्व पूर्ण किया जाना है. ताकि नए वोट का गठन हो सके, और नए वोट प्रभार में ले लें, प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समिति की निर्वाचन सम्बन्धित बैठक सभी जगह सम्पन्न हो चुकी है 11 दिसम्बर को बिलासपुर में निर्वाचन संबंधित कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न हुआ है.

प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियां

प्राथमिक सहकारी समितियों को लघु वनोपज (एमएफपी) के वास्तविक संग्रहणकर्ताओं की सदस्यता के साथ गठित किया गया है और संग्रहण केंद्र ग्राम पर लघु वनोपज (एमएफपी) के संग्रहण के लिए जिम्मेदार हैं। प्रत्येक प्राथमिक समिति में 10 से 20 तेन्दू पत्ता संग्रहण केंद्र है जहां तेन्दू पत्ते खरीदे जाते हैं और संग्रहणकर्ताओं को खरीद मूल्य का भुगतान किया जाता है। जिला संघ में प्रत्येक प्राथमिक सहकारी समिति के अलग क्षेत्राधिकार हें और संचालक मंडल में चयनित एवं नामांकित सदस्य हैं। प्रत्येक प्राथमिक सहकारी समिति के कार्यालय और क्षेतरीय कार्य की सहायता के लिए एक अंशकालिक प्रबंधक है। संग्रहण केंद्रों को फड मुंशी द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जिसे समितियों द्वारा इसी उद्देश्य के लिए नियुक्त किया गया है। इन संग्रहण केंद्रों को वन विभाग के अधिकारियों द्वारा पर्यवेक्षण और निर्देशित किया जाता है।