कटघोरा : रुक्मणि विवाह में बड़ी संख्या में लोग हुए शामिल.. सत्संग में उपस्थित होने पर पूरा जीवन बदल जाता हैं – दुबे जी

कोरबा/कटघोरा 30 जनवरी 2023 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक प राकेश दुबे ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना। श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए। कथा के मुख्य यजमान अशोक जायसवाल, उर्मिला जायसवाल परिवार, ने दीप प्रज्जवलित किया। प्रसंग में शास्त्री ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया।

सत्संग में उपस्थित रहने से बदल जाता है जीवन : दुबे जी

कथावाचक प राकेश दूबे ने कहा कि जब तक कर्मों की पूंजी है, इसका सुख भोग लो। बाद में यहीं आना पड़ेगा। यह मृत्युलोक श्रेष्ठ है। मानस तन देवों से भी श्रेष्ठ है। इस चोले को पाने के लिए देवता भी तरसते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म जोड़ता है तोड़ना नहीं, इसी प्रकार हमारे गुरु महाराज ने समाज को जोड़ना सिखाया। दुबे जी ने कहा कि रावण चारों वेदों के ज्ञाता थे, लेकिन उसने कभी किसी की बात नहीं मानी। बात न मानने के कारण उसकी दुर्गति हुई। उन्होंने कहा कि सत्संग में मति, कीर्ति, भलाई और गति मिलती है। सत्संग को जो तन और मन लगाकर सुनते हैं, उनका पूरा जीवन बदल जाता है। सत्संग में आने से विचार, बुद्धि, कर्म और आचरण बदलता है। धीरे-धीरे सत्संग से पूरा जीवन बदल जाता है। इस अवसर दूरदराज से काफी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।