कटघोरा : प्राकृतिक रंगों से खेली जाएगी होली.. महिलाएं पलाश, गुलाब और गेंदा के फूलों से इस तरह बना रहीं हर्बल गुलाल.

कोरबा/कटघोरा 4 मार्च 2023 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : होली के उल्लास भरे पर्व पर रंगों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, कई बार ये रंग जानलेवा साबित होती है. लिहाजा, लोगों में हर्बल रंग और गुलाल के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ी है। इसे देखते हुए हर्बल रंगों को बनाने की तैयारियां शुरू हो गई है. एक वक्त था जब बाजार में केमिकल युक्त रंग गुलाल के अलावा कुछ उपलब्ध नहीं था। हर बार होली के त्यौहार पर त्वचा संबंधी बीमारियों को लेकर लोग परेशान रहते थे। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा गोधन न्याय योजना की शुरूआत के बाद केमिकल युक्त गुलाल अब लोगों के जीवन से दूर हो चले हैं। गोधन न्याय योजना से जुड़ी महिलाएं स्व सहायता समूहों के माध्यम से न सिर्फ वर्मी कंपोस्ट तैयार कर रही हैं बल्कि हर्बल गुलाल के उत्पादन में भी अग्रसर होकर स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।

इसी कड़ी में कोरबा जिले कटघोरा विकासखण्ड के ग्राम धवईपर में होली के पर्व को ध्यान में रखते हुए जननी महिला क्लस्टर संगठन की महिलाओं ने हर्बल रंग से होली मनाए जाने की तैयारी की है। इनके बनाए रंगों को सी-मार्ट में इको फ्रेंडली हर्बल गुलाल की बिक्री की जा रही है। गौरतलब है कि जननी महिला क्लस्टर संगठन महिला स्व-सहायता समूह द्वारा हर्बल गुलाल का निर्माण किया जा रहा है। समूह की महिलाएं कृत्रिम रंगों से अलग होली का त्यौहार प्राकृतिक रंगों से ही मनाने की बात कह रही हैं. प्राकृतिक रूप से निर्मित हर्बल गुलाल में किसी भी प्रकार के रासायनिक केमिकल का उपयोग नहीं किया गया है.

जननी महिला समूह की महिलाएं पालक, लालभाजी, हल्दी, जड़ी- बुटी व फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रही हैं और इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जाता है। इसके अलावा मंदिरों एवं फूलों के बाजार से निकलने वाले पुराने फूलों की पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार किया जा रहा है। फूलों के साथ ही चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां को भी प्रोसेस कर इसमें मिलाया जाता है।

गत वर्ष हर्बल गुलाल की मांग को देखते हुए इस बार होली पर्व को लेकर जननी महिला समूह से जुड़ी महिलाएँ हर्बल गुलाल की तैयारी में दिन रात जुटी हुयी हैं। हर्बल गुलाल की खासियत ये है कि ये पूरी तरह से केमिकल रहित होता है और इसके इस्तेमाल से कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। हर्बल गुलाल में रंग और महक के लिए प्राकृतिक फूलों का ही इस्तेमाल किया जाता है। जननी समूह की महिलाओं के द्वारा स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हर्बल गुलाल का निर्माण किया जा रहा है और इसकी मांग पूरे प्रदेश में है। महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों की इस मेहनत से उन्हें स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं और वे आर्थिक स्वावलंबन की तरफ अग्रसर हो रही हैं।