कोरबा/कटघोरा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़):– उपनगरीय क्षेत्र के एकमात्र उच्च शासकीय शिक्षण संस्थान मुकुटधर पांडेय महाविद्यालय के प्रबंधन और छात्र छात्राओं ने पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन के दृष्टिकोण एक अनूठी पहल की शुरुआत की है. प्रबंधन और स्टूडेंट्स के निर्णय के अनुसार अब प्रत्येक सप्ताह के हर बुधवार को कोई भी छात्र-छात्रा या कॉलेज का स्टाफ़ कार, बाइक अथवा ईंधन से चलने वाले किसी भी वाहन के उपयोग नही करेगा. इसकी जगह पर सभी सायकिल, बस अथवा पैदल ही कॉलेज पहुचेंगे. आज कालेज परिसर में स्टूडेंट्स और प्राचार्य व व्याख्याताओं की मौजूदगी में इस पहल की शुरुआत की गई. यह एक दैनिक महाविद्यालयीन गतिविधि का हिस्सा था. सभी इस पहल से प्रेरणा लेकर इसे अपने आम जीवन मे अपनाए इस उद्देश्य से कालेज मैनेजमेंट ने पोस्टर, बैनर और फ्लेक्स के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास किया गया. सभी ने यह संकल्प भी लिया कि कॉलेज के परिसर को प्रदूषण मुक्त रखने और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से सभी को बचाने यह प्रयास अनवरत जारी रहेगा.
इसके अतिरिक्त महाविद्यालय प्रबंधन ने नशामुक्ति को लेकर भी अपनी गतिविधियों को विस्तार दिया है. महाविद्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि की कॉलेज कैम्पस में कोई भी मद्यपान जैसे गुटखा, तम्बाकू अथवा धूम्रपान ना करें.
NCC कैडेट्स की ली जाएगी मदद.
इस बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया गया कि आज इस पहल की शुरुआत का चूंकि पहला दिन था इसलिए सभी पैदल या अन्य सार्वजनिक साधन से कॉलेज पहुंचे थे. आने वाले समय मे सभी लोग इन नियमो का पालन करें यह सुनिश्चित करने का बीड़ा नेशनल कैडेट्स कोर यानी एनसीसी के वालेंटियर्स ने उठाया है. उन्होंने आज सभी छात्र-छात्राओं को इस सम्बंध में समझाइस भी दी व परिसर में पोस्टर भी चस्पा किया. पहल की शुरुआत के दौरान कॉलेज के प्राचार्य डॉ सतीश अग्रवाल अन्य व्याख्याताओं में आईक्यूएसी के प्रभारी मदन मोहन जोशी, अनुशासन प्रभारी श्री प्रिंस सर, कार्यक्रम के संयोजक डीडी टण्डन, डॉ एचएस कंवर, अशोक कुमार श्रीवास, तिलक आदित्य व एनएसएस महिला विंग की प्रमुख व्याख्याता पूनम ओझा भी मौजूद थी. इनके अलावा कार्यालय स्टाफ की तरफ से सूर्यकांत मानिकपुरी व बड़ी संख्या में महाविद्यालयीन छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहे.
NACK ग्रेडिंग की तैयारी में जुटा महाविद्यालय.
नैक दरअसल एक संस्थान है जो भारत के उच्च शिक्षा, अन्य शिक्षा संस्थानों का आकलन तथा मान्यता का कार्य करती है. इसकी स्थापना 1994 में की गयी थी. मूल्यांकन एवं प्रत्यायन को मूलतः किसी भी शैक्षिक संस्था की ‘गुणवत्ता की स्थिति’ को समझने के लिए प्रयोग किया जाता है. वास्तव में यह मूल्यांकन यह निर्धारित करता है कि कोई भी शैक्षिक संस्था या विश्वविद्यालय प्रमाणन एजेंसी के द्वारा निर्धारित गुणवत्ता के मानकों को किस स्तर तक पूरा कर रहा है. शैक्षिक प्रक्रियाओं में संस्था का प्रदर्शन, पाठ्यक्रम चयन एवं कार्यान्वयन, शिक्षण अधिगम एवं मूल्यांकन तथा छात्रों के परिणाम, संकाय सदस्यों का अनुसंधान कार्य एवं प्रकाशन, बुनियादी सुविधाएँ तथा संसाधनों की स्थिति, संगठन, प्रशासन व्यवस्था, आर्थिक स्थिति तथा छात्र सेवाएँ इत्यादि को शामिल किया जाता है.
नैक यानी राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद ने कुछ वर्ष पहले महाविद्यालयों के लिए नए ग्रेडिंग नियम को लागू किया था. इसके तहत नैक को निरीक्षण से पहले कॉलेजों को पूरी जानकारी देनी होती है. भेजी गई जानकारियां के आधार पर ही ग्रेडिंग तय हो जाती है. टीम मौके पर सिर्फ भेजी गई जानकारियों की पुष्टि के लिए पहुंचती है. टीम कॉलेज द्वारा बताई गई सुविधाओं और उपलब्ध्ता स्टूडेंट्स को मिल रही या नहीं और मौजूदा संसाधनों को लेकर पूछताछ करती है. नेक की टीम के निरीक्षण व ग्रेडिंग के आधार पर कॉलेज को मिलने वाले संसाधन और सुविधाओं की समीक्षा करता है. इस बार भी नैक के निरीक्षण के पहले शासकीय मुकुटधर पांडेय महाविद्यालय इस कवायद में जुटी हुई है.
■ NACK के निरीक्षण के पूर्व महाविद्यालय प्रबंधन की कवायद.
■ प्रदूषण मुक्ति के साथ ही प्लास्टिक फ्री होगा पूरा एनवायरमेंट.. नशामुक्ति भी शामिल.