कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़):- फसल और मवेशियों की सुरक्षा के लिए शासन की ओर से सृजित सुराजी ग्राम योजनांतर्गत विकासखण्ड स्तरीय ‘रोका-छेका योजना’ का आज विधिवत शुभारम्भ किया गया. क्षेत्रीय विधायक व मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुरषोत्तम कँवर, जिला कलेक्टर रानू साहू व जिला पंचायत के सीईओ कुंदन कुमार की मौजूदगी में रोका-छेका से जुड़ा यह कार्यक्रम कटघोरा जनपद पंचायत के ग्राम देवरी (कोरई) स्थित गौठान में सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम के शुरुआत में विधायक व जिला क्लेक्टर रानू साहू के द्वारा गौवंश की विधिवत पूजा-अर्चना की गई. गायों को चारा, गुड़ खिलाया गया. सभी अथितियों ने महिला समितियों व समूहों के उत्पाद स्टॉल का बारीकी से निरीक्षण करते हुए उनका उत्साहवर्धन किया. जनप्रतिनिधि व अधिकारियों ने इस अवसर पर गौठान में पौधरोपण करते हुए प्रकृति के संवर्धन, संरक्षण का भी संदेश दिया साथ ही विभिन्न ग्रामीण हितग्राहियों को शासन की ओर से कृषि उपकरण व यंत्रों का वितरण भी किया गया.
रोका-छेका कार्यक्रम के शुभारंभ में क्षेत्रीय विधायक, जिला कलेक्टर व जिला पंचायत के मुख्य कार्य पालन अधिकारी के अतिरिक्त जिला पंचायत की अध्यक्ष शिवकला कँवर, जनपद पंचायत कटघोरा की अध्यक्ष लता कँवर, कटघोरा एसडीएम सूर्यकिरण तिवारी, जनपद कटघोरा सीईओ एचएन खूँटेल, तहसीलदार रोहित सिंह व दीपका नपाप की अध्यक्ष संतोषी दीवान के अलावा बड़ी संख्या में जनपद पंचायतों के प्रतिनिधि, कांग्रेस के पदाधिकारी व अन्य विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे. कार्यक्रम का शुभारंभ स्वागत गीत के साथ किया गया जिसके पश्चात सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ से अभिनन्दन किया गया.
सुराजी ग्राम्य योजनाओं में महिलायें बढ़-चढ़कर ले हिस्सा, बने आत्मनिर्भर: रानू साहू, जिला कलेक्टर.
रोका-छेका कार्यक्रम के शुभारंभ में पहुंचे ग्रामीणजनों को जिला दंडाधिकारी ने सम्बोधित किया. उन्होंने गांव के सरपंच, सचिव, गौठान समिति के सदस्य व सभी पशुपालक ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि रोका-छेका कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ फसलों की सुरक्षा ही नही बल्कि मवेशियों की सुरक्षा व ग्रामीणों के आय उपार्जन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. गांव के खेतों में फसलों की बुआई शुरू हो चुकी है इसलिए वह सभी से अपील करती है कि अपने मवेशियों को खुला ना छोड़े. उन्हें गौठान समितियों के सुपुर्द कर दिया जाए ताकि इसका लाभ समितियों को मिले और निश्चित आय की व्यवस्था हो सके. जिला कलेक्टर ने उपस्थित महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि गौठान समितियों की गतिविधियों में महिलाएं अधिक सक्रिय होकर हिस्सेदारी करे और आत्मनिर्भर बने. महिला समितियों से कहा कि व्यवसायिक नवाचार के माध्यम से वे मांग और पूर्ति को समझकर सामानो का उत्पादन करे, उनके लिए बाजार तलाशे. रानू साहू ने साफ किया कि गौठान योजना का सम्बंध सिर्फ गायों से नही है बल्कि गौठानो के माध्यम से विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर आर्थिक तौर पर सभी सशक्त हो यह इस योजना का मूल उद्देश्य है. मीडिया कर्मियों से हुई बातचीत में बताया कि गांवों में रोका-छेका के अलावा क्षेत्रो में भी आवारा मवेशियों की समस्याएं सामने आती है. फिलहाल जिले भर में छह शहरी गौठान भी बनाये गए है. अर्बन इलाको के मवेशियों को इन्ही गौठानो की मदद से नियंत्रित किया जाएगा.
जिले में मद की कमी नही. गौठानो में बढ़ेगी सुविधाएं: पुरषोत्तम कँवर, क्षेत्रीय विधायक.
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए क्षेत्रीय विधायक पुरषोत्तम कँवर ने बताया कि रोका-छेका छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जनजीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. पशुधन से फसलों की सुरक्षा के लिए पशुपालके सदियों से यह कार्य करते आ रहे है. इस तरह की गतिविधियां अक्सर हरेली त्यौहार के समय देखने को मिलती थी पर चूंकि आज प्रदेश सरकार ने इसे योजना के तौर पर लागू किया है इसलिए आज से प्रदेशभर के हर हिस्से में योजना की औपचारिक शुरुआत की जा रही है. यह योजना ग्रामीण पशुपालकों के लिए भी फायदेमंद है. शहरी क्षेत्रों में आवारा मवेशियों की समस्या पर उन्होंने पशुपालकों से अपील किया कि वे अपने पशुधन की सुरक्षा का स्वयं जिम्मा ले या फिर शहरी क्षेत्रों के गौठानो में अपने मवेशियों को पहुंचाए. सभी के सहयोगात्मक रवैय्ये से ही योजना को सफल बनाया जा सकता है.
गौठानो में हो शेड व गोदामो का निर्माण: पुरषोत्तम कँवर.
विधायक ने अपने उद्बोधन के दौरान गौठानो में जरूरी और बुनियादी सुविधाओं की तरफ अधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराया. उन्होनो बताया कि समितियों के द्वारा आज सभी गौठानो मे बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण किया जा रहा है लेकिन उनके भंडारण के लिए।गोदाम उपलब्ध नही है. इसी तरह गोबर की खरीदी के बाद गोबर का रखरखाव भी सही ढंग से नही हो पा रहा है. खासकर वर्षाकाल में गोबर बारिश में बह जा रहे है लिहाजा सभी गौठानो में गोदाम और शेड का निर्माण कराया जाए. उन्होंने बताया कि इस तरह की सुविधाओं के लिए फंड की कोई कमी नही है. कार्यक्रम को विधायक व जिला कलेक्टर के अलावा जिला पंचायत की प्रमुख शिवकला कँवर व जनपद अध्यक्ष लता कँवर ने भी संबोधित किया. दोनों ही जनप्रतिनिधियों ने रोका-छेका को जरूरी बताते हुए इस प्रथा को शासकीय स्वरूप देने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया.