कोरबा : जलके में गजराजों का ख़ौफ़.. डर के साये में रतजगा कर रहे ग्रामीण.. छत पर रात गुजारने को मजबूर हैं ग्रामीण.

कोरबा/कटघोरा 28 सितम्बर 2022 ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कई इलाके हाथी प्रभावित हैं. इन इलाकों में हाथियों का विचरण सालभर रहता है. लेकिन कुछ गांव ऐसे हैं, जहां हाथियों की संख्या काफी बढ़ गई है और वे ग्रामीणों को अपना निशाना बना रहे हैं. ऐसे में ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. ग्रामीण अपनी सुरक्षा का मोर्चा खुद संभाल लिए हैं. कटघोरा वनमण्डल के पसान रेंज में वर्षों से हांथीयों ने अपना रहवास बना लिया है जो कि लगातार आसपास के क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं. हांथीयों द्वारा ग्रामीणों के घरों तथा मवेशियों को भी अपना निशाना बना रहे हैं.

बतादें की पसान रेंज के ग्राम जलके में इस समय लगभग 25 हांथीयों का दल 4 दिनों से अपना डेरा बनाये हुए हैं। हांथीयों का दल इस समय माँझाबहरा में अपना उत्पात मचा रहे हैं। वे खेत की फसलों के अलावा मवेशियों को अपना शिकार बना रहे हैं। बीती रात शंकर सिंह पिता बुधराम गोंड नामक ग्रामीण के घर में बंधे बैल को हांथीयों के दल ने मौत के घाट उतार दिया व खेत में लगे मक्के की फसल को पूरी तरह चौपट कर दिया है।

कोरबा जिले का सीमावर्ती पसान क्षेत्र का जलके पंचायत हाथियों के आतंक से दहशत में है. यह इलाका तीन तरफ से हाथियों से घिर गया है. वन विभाग की उपेक्षा के कारण ग्रामीण अब खुद की अपनी सुरक्षा का जिम्मा उठा चुके हैं. वहीं इस दौरान ग्रामीण हाथियों के आतंक से बचने खुद ही मशाल और पटाखे का उपयोग कर रहे हैं. इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों की उपेक्षा से ग्रामीणों में काफी नराजगी देखने को मिली। लोग हांथीयों के आतंक से डर के साये में रतजगा करने को मजबूर हैं। वहीं लोग सरकारी स्कूलों की छत व पक्के मकान की छत का सहारा लेकर रात गुजार रहे हैं।

ग्रामीणों में ख़ौफ़ का माहौल, लोग चाहते हैं हथियार

हांथी प्रभावित ग्राम मांझा बहरा निवासी बुजुर्ग ग्रामीण राम भरोसे आयम, फुलबसिया उरकुरे, अमरजीत अरमोरवा ने बताया की 4 दिनों से इस इलाके में यह समस्या बनी है। मवेशियों को मारने के साथ फसल और संपत्ति को चौपट करने का काम हाथी कर रहे हैं।बच्चों को हमने सरकारी स्कूल में रखवाया है ताकि उनकी सुरक्षा हो सके वन विभाग के बलबूते समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। हम चाहते हैं कि सरकार हथियार उपलब्ध कराए ताकि जानवरों से रक्षा हो सके।

कैसे छोड़ दिया जाए घर

समस्या ग्रस्त इलाके के लोगों ने बताया कि हाथियों की आमदरफ्त और हमले को लेकर वन विभाग द्वारा उन्हें घर छोड़ने को कहा जा रहा है। वन विभाग के अधिकारी बार-बार इसी बात को कह रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि ग्रामीण क्षेत्र में मकान बनाना कितना मुश्किल भरा है, और इसके लिए हमें क्या कीमत चुकानी पड़ी है। अब तक सुरक्षा के लिए विभाग द्वारा टॉर्च, पटाखे और अन्य सामान वन विभाग के द्वारा नहीं दिया गया है। लोग चाह रहे हैं कि संकट की घड़ी में आश्वासन के बजाय जमीन पर काम होना चाहिए।

हांथी प्रभावित क्षेत्रों के लिए बनाई जा रही योजना

कटघोरा वनमण्डल की DFO प्रेमलता यादव ने बताया कि इस समस्या पर जिला कलेक्टर से बैठक के दौरान विभाग द्वारा लगातार हांथीयों के उत्पात से ग्रामीणों को हो रही परेशानी से अवगत कराया गया है। कच्चे मकानों में रहने वाले ग्रामीण इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन से डीएमएफ फंड से प्रभावित क्षेत्रों में कच्चे मकान में रहने वाले प्रभावित ग्रामीणों के लिए पक्के भवन निर्माण की योजना पर चर्चा की है। जिससे ग्रामीणों को सुरक्षित रखा जा सके। इसके लिए हांथी प्रभावित रेज के रेंजरों को कार्य योजना बनाने के लिए निर्देशित किया गया है। विभाग द्वारा लगातार हांथीयों की मानिटरिंग कर प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को आगाह किया जा रहा है तथा उनसे विभाग लगातार कह रहा है कि हांथी जंगल के स्वछंद वन्य प्राणी है उनसे छेड़छाड़ कतई न करें जिससे वे उग्र होकर कोई जनहानि करें। रही बात मकान छतिग्रस्त तथा फ़सल नुकसान को लेकर विभाग जांच कर मुआवजा की राशि उपलब्ध करा रही है।