कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़) : छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अस्पतालों में लोगों की भीड़ बढ़ रही है. कोरोना टेस्ट कराने पहुंच रहे लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं. अस्पतालों में ही कोविड 19 गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. यह कोरोना विस्फोट का जरिया बन सकती हैं. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अस्पताल खुद कोरोना के सुपर स्प्रेडर बन गए हैं?
छत्तीसगढ़ में कोरोना का कहर जारी है.लॉकडाउन लगने के बावजूद संक्रमण और मौत के आंकड़े थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. सर्दी-खांसी के अलावा फीवर से जूझ रहे मरीज अस्पतालों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं. जहां उन्हें कोरोना जांच कराना अनिवार्य है. ऐसे में बिना सोशल डिस्टेंसिंग की ये कतारें चौंकाने वाली हैं. जिसे देखकर यह सवाल जरूर उठता है कि कहीं अस्पताल ही तो कोरोना के सुपर स्प्रेडर नहीं बन रहे हैं, क्योंकि दो हफ्ते के लॉकडाउन के बावजूद जिले में पॉजिटिव केस में गिरावट नहीं आई है. उसके बाद एक बार फिर से लॉकडाउन की मियाद बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
सामान्य सर्दी और फ्लू के साथ ही कोरोना के मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन सतर्क है, लेकिन अस्पतालों में मरीज कोविड नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना जांच कराने वालों की भीड़ बहुत रहती है. एक-दूसरे से सटकर लोग खड़े रहते हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते और मास्क भी नहीं लगाते, जिसकी वजह से संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है. वैसे तो अस्पताल में इन्फेक्शन, प्रिवेंशन और कंट्रोल के हिसाब से काम किया जा रहा है. जिसमें जांच करने वाले डॉक्टर्स PPE किट का इस्तेमाल करते हैं, ग्लव्स और मास्क दोनों का इस्तेमाल करते हैं.
कोरोना जांच के लिए लंबी कतारें
कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल के साथ ही आसपास के उप स्वास्थ्य केंद्रों में कोरोना जांच के लिए लंबी लाइनें लगती हैं. रोजाना जिले में प्रतिदिन लगभग 4 हज़ार कोरोना जांच हो रही है. सर्दी-खांसी के साथ ही अन्य किसी बीमारी के लिए भी कोविड 19 का टेस्ट अनिवार्य है. शायद यही वजह है कि लोगों की लंबी कतारें इन दिनों अस्पतालों में दिखाई देती है. कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में टेस्ट करवाने पहुंचे लोगों ने बताया कि सुबह 9 बजे से आए हैं, लक्षण तो नहीं है, लेकिन चेकअप कराना भी जरूरी है.