कोरबा/कटघोरा 12 फरवरी 2023 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : कटघोरा के टीगीपुर वार्ड क्र09 श्रीमद भागवत महापुराण कथा स्थल से पंडित प राकेश दुबे महाराज की अगुवाई में कलश यात्रा कटघोरा बस्ती भृमण कर कटघोरा के अहिरन नदी पहुंची वहां कलश पूजन के बाद कलश में जल भरकर श्रद्धालु वापस कथा स्थल लौटे।
कटघोरा नगर क्षेत्र में निवासरत पवन जयसवाल आयोजित आठ दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण का शुभारंभ 11 फरवरी दिन शनिवार को कलश यात्रा के साथ हुआ। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।
कथा स्थल से पंडित राकेश दुबे महाराज की अगुवाई में कलश यात्रा निकली। श्रद्धालु वार्ड नंबर 9 टिगीपुर से राधा सागर तालाब होते हुए बस्ती भृमण कर अहिरन नदी तट स्थल स्थल पहुंचे। वहां कलश पूजन के बाद कलश में जल भरकर श्रद्धालु वापस लौटे। कलश में जल भरते समय श्रद्धालुओं के जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा। पंडित राकेश दुबे महाराज ने कहा कि कथा श्रवण से कई जन्मों के पाप से मुक्ति मिल जाती है। कथा मनुष्य के जीवन के मर्म को समझाती है। यह हमें सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। व्यास आचार्य ने बताया की कथा की पूर्णाहुति 19 फरवरी को हवन के साथ होगी।
बतादें की श्रीमद भागवत महापुराण के पंडित राकेश दुबे है जो कटघोरा के पं बाबूलाल शास्त्री महाराज के सुपुत्र हैं। अपने पिता के प्रेरणा से भागवताचार्य हो गए।
सत्संग में उपस्थित रहने से बदल जाता है जीवन : दुबे जी
कथावाचक प राकेश दूबे ने कहा कि जब तक कर्मों की पूंजी है, इसका सुख भोग लो। बाद में यहीं आना पड़ेगा। यह मृत्युलोक श्रेष्ठ है। मानस तन देवों से भी श्रेष्ठ है। इस चोले को पाने के लिए देवता भी तरसते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म जोड़ता है तोड़ना नहीं, इसी प्रकार हमारे गुरु महाराज ने समाज को जोड़ना सिखाया। दुबे जी ने कहा कि रावण चारों वेदों के ज्ञाता थे, लेकिन उसने कभी किसी की बात नहीं मानी। बात न मानने के कारण उसकी दुर्गति हुई। उन्होंने कहा कि सत्संग में मति, कीर्ति, भलाई और गति मिलती है। सत्संग को जो तन और मन लगाकर सुनते हैं, उनका पूरा जीवन बदल जाता है। सत्संग में आने से विचार, बुद्धि, कर्म और आचरण बदलता है। धीरे-धीरे सत्संग से पूरा जीवन बदल जाता है। इस अवसर दूरदराज से काफी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे