कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):-निजी क्षेत्र, किसानों, शासकीय विभागों एवं ग्राम पंचायतों की भूमि पर इमारती-गैर इमारती प्रजातियों के वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने तथा किसानों की आय में वृक्षारोपण के माध्यम से वृद्धि करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना एक जून से लागू हो रही है। किसानों को धान के बदले गैर वनीय क्षेत्रों मे इमारती-गैर इमारती, फलदार वृक्ष, बांस एवं लघु वनोपज तथा औषधीय पौधों का वृक्षारोपण करने पर प्रति एकड़ दस हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। जिन किसानों ने खरीफ वर्ष 2020 में धान की फसल ली हो, यदि वे धान की फसल के बदले अपने खेतों में वृक्षारोपण करते हैं तो उन्हें आगामी तीन वर्षों तक प्रतिवर्ष दस हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। योजना का लाभ लेने के लिए छत्तीसगढ़ के सभी नागरिक निजी भूमि की उपलब्धतानुसार तथा सभी ग्राम पंचायतें एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियां पात्र होंगे। योजनांतर्गत वन अधिकार पत्र प्राप्त भूमि पर भी हितग्राहियों की सहमति से इमारती, फलदार, बांस, लघुवनोपज एवं औषधीय पौधों का रोपण किया जा सकेगा। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए रोपण के छह माह के भीतर संबंधित वन परिक्षेत्र कार्यालय में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। ग्राम पंचायतों एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के पास उपलब्ध राशि से यदि वाणिज्यिक वृक्षारोपण किया जायेगा तो एक वर्ष बाद सफल वृक्षारोपण की दशा में संबंधित ग्राम पंचायतों एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को शासन की ओर से दस हजार रूपए प्रति एकड़ की दर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना अंतर्गत जिन किसानों ने खरीफ 2020 में धान की फसल ली हो तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य योजनांतर्गत धान का विक्रय करने के लिए विधिवत पंजीयन कराया हो तथा धान का विक्रय किया हो, ऐसे किसानों को धान के बदले अपने खेतों में वृक्षारोपण करते हुए उन्हें तीन वर्षों तक दस हजार रूपए प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। किसान के द्वारा किए गए वृक्षारोपण के साथ इन्टरक्राॅपिंग में धान को छोड़कर अन्य फसल ली जा सकेगी। योजनांतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को निर्धारित समयावधि में संबंधित पोर्टल में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। अपंजीकृत किसानों को योजनांतर्गत प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने की पात्रता नहीं होगी। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं विहित अधिकारी द्वारा पंजीकृत रकबे का गिरदावरी कर सत्यापन किया जाएगा। वृक्षारोपण की उपयुक्त प्रजाती चयन के संबंध में उचित परामर्श किसानों को आवश्यकतानुसार दिए जाएंगे। योजनांतर्गत निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भुगतान किया जाएगा।