अबूझमाड़ में धर्मांतरण का विरोध , आकाबेड़ा की जनसभा में एकजुट हुए सैकड़ों ग्रामीण


नारायणपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़):-
 जिले के परगना क्षेत्रों के बाद अब अबूझमाड़ में धर्मांतरण का विरोध (Protest against conversion in Abujhmad) होने लगा है. मंगलवार को पांच परगना के सैकड़ों गांवों के ग्रामीणों ने आकाबेड़ा में जनसभा (Akabeda public meeting) किया. बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे.अबूझमाड़ में धर्मांतरण का विरोधजनसभा में पांच परगना क्षेत्र के प्रमुख लोगों के अलावा सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) जिला अध्यक्ष नारायणपुर सोनूराम कोर्राम, गोंडवाना युवा प्रभाग जिला अध्यक्ष नारायणपुर सुकमन कचलाम, रामकृष्ण मिशन आश्रम के महराज कृष्णामृतनंद जी सहित अन्य लोगों ने संबोधित किया. क्षेत्र में हो रहे धर्मांतरण पर चिंता जाहीर की. कहा कि आज अबूझमाड़ के ग्रामीण भी धर्मांतरण के विरोध करने लगे हैं. यह सबसे बड़ी बात है.

चल रहा है धर्मांतरण का गंदा खेल

ग्रामीणों ने कहा कि आज अबूझमाड़ जैसे क्षेत्र के लोग भी जागरूक हैं और धर्मांतरण के खिलाफ हैं. ईसाई मिशनरियों द्वारा पहले अबूझमाड़ के जनजातीय क्षेत्र (Tribal Areas of Abujhmad) में निवासरत लोगों बहला पुसला कर जिस तरह से धर्मांतरण का गंदा खेल खेला जा रहा है. उससे अब अबूझमाड़ के लोग आक्रोश में आ चुके हैं. ईसाई मिशनरियों द्वारा ना सिर्फ अबूझमाड़ के ग्रामीणों का धर्मांतरण कराया जा रहा है बल्कि उनके संस्कृति, समाज,सभ्यता, परंपरा, देवी देवताओं का भी अपमान किया जा रहा है. आदिवासियों का नारा जल-जंगल-जमीन इसे सुरक्षित रखने और पुरखा की पेन, परंपरा रीति-रिवाज को बरकरार रखने की दिशा में अबूझमाड़ के ग्रामीण धर्मांतरण का अब खुलकर विरोध करने लगे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण के बाद जनजातियों की मूल पद्धति विकृत हो रही है. देवी, देवता की पूजा, संस्कृति, परम्परा और घोटूल जैसी परंपराओं का अंत हो रहा है. ग्रामीण जनजातियों का यह भी आरोप है कि ईसाई धर्म में परिवर्तित हो चुके परिवारों के सहयोग के लिए दूसरे क्षेत्र के लोग जो ईसाई मिशनरियों से जुड़े हैं, वह भी मदद के लिए आ रहे हैं और लगातार लोगों को धर्मांतरण के जाल में फंसा रहे हैं.

युवक पर जानलेवा हमले का आरोप

स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि ईसाई समूह द्वारा क्षेत्र में अशांति फैलाने का कार्य किया जा रहा है. ईसाई मार्ग में ना जाने पर हमला जैसे घातक प्रहार किया जा रहा है. ईसाई धर्म अपना चुके लोग आज हमारी संस्कृति सभ्यता को भूल कर बाहर की रीति-रिवाज को अपना रहे हैं, जिससे हमारी संस्कृति खतरे में है. आकाबेड़ा के जनसभा के दौरान दो पक्षों में बैठक व्यवस्था कराई गई. इसमें ईसाई धर्म अपना चुके लोगों को एक तरफ बैठाया गया.

दूसरी तरफ ग्रामीण उपस्थित थे. जिस दौरान वक्ताओं एवं समाज के प्रबुद्ध जनों ने कहा कि गांव में ग्रामीणों के साथ मिलजुल, सभी कार्यक्रमों में शामिल होकर रहें और देवी-देवताओं का अपमान किए बगैर संस्कृति का सम्मान करें. कहा कि पास्टर भोले-भाले गांव के ग्रामीणों का धर्मांतरण कराना बंद करें. जो लोग धर्म परिवर्तित कर चुके हैं, वह वापस अपने धर्म में लौटें, स्वागत है. इस पर सभी ने शांति पूर्वक ईसाई धर्म अपना चुके ग्रामीणों को समझाइश दी. करीब 4 घंटे की सभी ने ईसाई धर्म अपना चुके ग्रामीणों की बारी-बारी से जानकारी ली और पूछा कि आप अपनी संस्कृति, सभ्यता छोड़ ईसाई धर्म को क्यों अपना रहे हो? साथ ही कहा कि आज सभा का आयोजन किया गया और ईसाई धर्म अपना चुके लोगों को समझाइश दी गई.