कोरबा/पोंडी उपरोड़ा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : पोंडी उपरोड़ा में किसान दिवस के अवसर पर धान खरीदी केंद्र में किसानों को मिठाई, बिस्किट व पानी वितरण करते हुए शाखा प्रबंधक रवि धर दीवान एवं समिति प्रबंधक नर्मदा देवांगन, कंप्यूटर ऑपरेटर विजय देवांगन, फड़ प्रभारी लीलाराम, अरुण कुमार, निर्मल साह, कुमारी सिया आदि कर्मचारी शामिल थे. किसानों को मिठाई वितरण पश्चात किसानों सभी को किसान दिवस की बधाई दी ।
आखिर 23 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है. भारत में प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देश अथक मेहनत करने वाले अन्नदाताओं के प्रति आभार व्यक्त करता है और भारत की अर्थव्यवस्था में उनके योगदान से अवगत होता है. किसान दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में कृषि वैज्ञानिकों के योगदान, किसानों की समस्याएं, कृषि क्षेत्र में नए प्रयोग, नई तकनीक, फसल पद्धति और खेती में बदलाव जैसे कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा होती है.
भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है और यहां कि आधी से अधिक जनसंख्या आज भी खेती या इससे जुड़े कामों पर निर्भर है. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि आखिर 23 दिसंबर को ही क्या खास है कि इसी दिन किसान दिवस मनाया जाता है तो इसका जवाब है कि 23 दिसंबर को ही देश के पांचवें प्रधानमंत्री और दिग्गज किसान नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती है. उन्होंने अन्नदाताओं के हित में और खेती के लिए कई अहम काम किए हैं, जिन्हें इस दिन याद किया जाता है. चौधरी चरण सिंह कहा करते थे कि किसानों की दशा बदलेगी, तभी देश बढ़ेगा और इस दिशा में वे लगातार काम करते रहे.
2001 में भारत सरकार ने लिया था फैसला
कुछ ही महीनों के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे चौधरी चरण सिंह ने किसानों और कृषि क्षेत्र के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्हें देश के सबसे प्रसिद्ध किसान नेताओं में से एक के रूप में जाना जाता है. कृषि क्षेत्र और किसानों के हित में किए गए उनके कार्यों के लिए ही भारत सरकार ने 2001 में 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. तभी से हर साल इस दिन हमारी थाली में भोजन उपलब्ध कराने वाले कृषकों के प्रति हम कृतज्ञता अर्पित करते हैं.
23 दिसंबर, 1902 को उत्तर प्रदेश के एक किसान परिवार में जन्में चौधरी चरण सिंह गांधी से काफी प्रभावित थे और जब देश गुलाम था तो उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई भी लड़ी. आजादी के बाद वे किसानों के हित के काम करने में जुट गए. उनकी राजनीति मुख्य रूप से ग्रामीण भारत, किसान और समाजवादी सिद्धातों पर केंद्रित थी.
भूमि सुधार लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका
वे उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री बने. हालांकि उनका कार्यकाल दोनों बार लंबा नहीं चला. बावजूद इसके मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने भूमि सुधार लागू करने में प्रमुख भूमिका निभाई और किसानों के हित में कई बड़े फैसले लिए. कहा जाता है कि चौधरी चरण सिंह ने खुद ही उत्तर प्रदेश जमींदारी और भूमि सुधार बिल का मसौदा तैयार किया था.
देश का कृषि मंत्री रहते हुए उन्होंने जमींदारी प्रथा को खत्म करने के लिए अथक प्रयास किए. बाद के वर्षों में उन्होंने किसान ट्रस्ट की स्थापना की, जिसका लक्ष्य अन्याय के खिलाफ देश के ग्रामीणों को शिक्षित करना और उनके बीच एकजुटता को बढ़ावा देना था.