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कटघोरा.( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले का कटघोरा क्षेत्र न केवल अपनी समृद्ध प्राकृतिक संपदा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह क्षेत्र ताजी और मौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए भी जाना जाने लगा है। यहां की सबसे बड़ी जनसंख्या पटेल-मरार समाज की है, जो वर्षों से खेती और समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाती आ रही है। यह समुदाय मुख्यतः सब्जी उत्पादन से जुड़ा हुआ है और अपनी मेहनत व सामाजिक कार्यों के माध्यम से कटघोरा को एक नई पहचान दिलाने में सफल रहा है।
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माँ शाकम्भरी जयंती का हर्षोल्लास
कटघोरा में इस बार माँ शाकम्भरी देवी की जयंती को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। प्रदेशभर में पूजी जाने वाली माँ शाकम्भरी, पटेल और मरार समाज की कुलदेवी मानी जाती हैं। इस अवसर पर समाज के लोगों ने एकजुट होकर हजारों किलो ताजी सब्जियों का निःशुल्क वितरण किया, जिससे आमजन भी इस उत्सव का हिस्सा बन सके।
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“माँ शाकम्भरी समूचे हिन्दू समाज की देवी” – आत्मानारायण पटेल, अध्यक्ष, छग शाकम्भरी बोर्ड
शाकम्भरी बोर्ड के अध्यक्ष आत्मानारायण पटेल ने बताया कि माँ शाकम्भरी उनकी कुलदेवी हैं, और उनका यह दिवस समाज के लिए विशेष महत्व रखता है। उन्होंने कहा, “माँ शाकम्भरी केवल पटेल और मरार समाज की देवी ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज की आराध्य हैं। उनके आशीर्वाद से समाज में सकारात्मक बदलाव आया है।”
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उन्होंने आगे बताया कि इस बार माँ शाकम्भरी जयंती के साथ छत्तीसगढ़ के लोक पर्व छेरछेरा का भी उत्सव मनाया गया। दोनों पर्वों को एक साथ मनाने का आनंद दोगुना हो गया। पटेल समाज ने अपनी परंपरा के अनुसार ताजी सब्जियों का दान कर सामाजिक एकता और सहयोग का संदेश दिया।
सामाजिक बदलाव और जागरूकता
आत्मानारायण पटेल ने समाज में आए बदलावों पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, “पहले हमारे युवा नशे जैसी बुराइयों में उलझे रहते थे, लेकिन अब वे इन बुरी आदतों को त्यागकर समाज सेवा और धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यह बदलाव हमारे लिए गर्व की बात है।”
बजरंग पटेल ने दी शुभकामनाएं
कटघोरा नगरपालिका के पूर्व उपाध्यक्ष बजरंग पटेल ने भी माँ शाकम्भरी जयंती और छेरछेरा पर्व पर नगरवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने बताया कि कटघोरा में सब्जियों के वितरण की यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। इस वर्ष भी हजारों किलो ताजी सब्जियां वितरित की गईं। उन्होंने कहा, “यह परंपरा हमारे समाज की उदारता और प्रकृति के प्रति जुड़ाव को दर्शाती है। माँ शाकम्भरी देवी का यह पर्व हमें सेवा और दान का महत्व सिखाता है।”
गौरतलब है कि, कटघोरा में मनाया गया यह पर्व समाज के हर वर्ग को जोड़ने और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है। माँ शाकम्भरी देवी की जयंती और छेरछेरा जैसे पर्व हमें सिखाते हैं कि समाज सेवा और एकता से हम अपने जीवन को अधिक सार्थक बना सकते हैं।
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