रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आज एक महत्वपूर्ण हथियार मिला है. आज केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने नई दिल्ली में DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की एंटी कोविड मेडिसिन 2 डीजी दवा की पहली खेप को लॉन्च किया. डीआरडीओ ने इस दवा को डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ मिलकर तैयार किया है. डीसीजीआई ने डीआरडीओ की कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) को हाल ही में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी.
DRDO की एंटी कोरोना मेडिसिन लॉन्च
पाउडर फॉर्म में उपलब्ध है दवा
डीआरडीओ (DRDO) ने बताया कि ‘2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ दवा को इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) द्वारा हैदराबाद की डॉक्टर रेड्डी लैब के साथ मिलकर तैयार किया गया है. हाल ही में क्लीनिकल-ट्रायल में पास होने के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इस दवाई के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. बताया जा रहा है कि ये दवाई सैशे में उपलब्ध होगी. मरीज इसे पानी में घोलकर पी सकेंगे.
DRDO की एंटी कोरोना मेडिसिन लॉन्च
इस दवा से ऑक्सीजन लेवल रहेगा मेंटेन
बताया जा रहा है कि ग्लूकोज पर आधारित इस दवा से कोरोना मरीजों को ऑक्सजीन पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. साथ ही वे जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे. क्लीनिक्ल ट्रायल के दौरान भी देखा गया है कि जिन कोरोना मरीजों को ये दवाई दी गई थी, उनकी RT-PCR रिपोर्ट जल्दी निगेटिव आई है. ये दवाई सीधा वायरस से प्रभावित सेल्स में जाकर जम जाती है और वायरस सिंथेसिस और एनर्जी प्रोडक्शन को रोककर वायरस को बढ़ने से रोक देती है.
इस दवाई की खास बातें
कोविड 19 के इलाज के लिए 2-deoxy-D-glucose यानी 2डीजी नाम के इस एंटी-कोविड ड्रग को डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने बनाया है. 2डीजी को डिफेंस रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेज (INMAS) ने विकसित किया है. इसमें हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी (DRL) भी शामिल है. डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी ही आम लोगों के लिए इस दवा को बनाएगी.
पानी में घोलकर पी सकेंगे मरीज
ये दवाई पाउडर के रूप में रहेगी. सैशे को मरीज पानी में घोलकर पी सकेंगे. इस दवा को सेकेंडरी मेडिसिन की तरह यूज करने की परमिशन दी गई है. यह दवा काफी हद तक ग्लूकोज जैसी है, मगर ग्लूकोज नहीं है. वायरस शरीर में पहुंचते ही अपनी कॉपीज बनाना शुरू कर देता है, इसके लिए उसे ताकत चाहिए होती है, जो ग्लूकोज से मिलती है. जब यह दवा दी जाएगी, तो वायरस इस ग्लूकोज एनालॉग को लेगा और उसी में फंस जाएगा, नतीजा ये होगा कि वायरस अपनी कॉपीज नहीं बना पाएगा. इससे उसकी ग्रोथ रुक जाएगी.
साइड इफेक्ट नहीं आए नजर
यह दवा दिन में दो बार लेनी होगी. कोविड-19 मरीजों को पूरी तरह ठीक होने के लिए 5 से 7 दिन तक यह दवा देनी पड़ सकती है. ट्रायल में इस दवाई के साइड इफेक्ट नहीं पाए गए, जबकि ये दवाई सामान्य और गंभीर दोनों तरह के मरीजों को दी गई थी.
राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों का जताया आभार
दवा की लॉन्चिंग के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस दवा को तैयार करने में जिन वैज्ञानिकों की मुख्य भूमिका है, मैं उन्हें अपने हाथों से सम्मानित करना चाहूंगा. ये दवा आशा और उम्मीद की एक नई किरण लेकर आई है, ये दवा हमारे देश के वैज्ञानिकों की वैज्ञानिक क्षमता की एक मिसाल है.
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आज के दिन को बताया सुखद
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मई के महीने में आज का दिन हम सबके लिए सबसे ज़्यादा सुखद दिन है. हम एक साल से ज़्यादा समय से कोविड की जंग लड़ रहे हैं. रक्षा क्षेत्र के आउटकम के तहत ये हमारी पहली स्वदेशी दवा है. ये कोविड वायरस के प्रकोप को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कम करने की पूरी क्षमता रखती है. उन्होंने कहा कि आज का दिन सुखद इसलिए भी है, क्योंकि आज नए मामलों से एक लाख ज़्यादा रिकवरी हुई है.
रक्षा मंत्रालय ने इस महीने के शुरू में कहा था कि कोविड-19 के मध्यम लक्षण वाले तथा गंभीर लक्षण वाले मरीजों पर इस दवा के आपातकालीन इस्तेमाल को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) की ओर से मंजूरी मिल चुकी है. रक्षा मंत्रालय ने आठ मई को एक बयान में कहा था कि 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) के क्लीनिकल परीक्षण में पता चला है कि इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है. साथ ही इस दवा से मरीज जल्दी ठीक होते हैं.