रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): राज्य सरकार की वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का अच्छा प्रतिसाद मिला है। प्रदेश के करीब दो हजार किसानों ने धान के बदले अपने खेतों में वृक्ष लगाने के लिए पंजीयन कराया है। माना जा रहा है कि इस योजना से फसल चक्र परिवर्तन लाया जा सकता है।
भूपेश सरकार ने कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना शुरू की है। थोड़े दिनों में ही इस योजना को अच्छी सफलता मिलती दिख रही है। इस योजना के तहत प्रदेशभर में अब तक 1983 किसानों ने अपने खेतों में धान की जगह वृक्षारोपण के लिए कृषि विभाग के पोर्टल में पंजीयन कराया है।
ये वो किसान हैं जिन्होंने साल 2020-21 के दौरान खरीफ वर्ष में अपने खेतों में धान की फसल लगाई थी। योजना में यह प्रावधान है कि किसान अगर वह धान की फसल के बदले अपने खेतों में वृक्षारोपण का फैसला करते हैं तो उन्हें 10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। अगले तीन वर्षों तक उन किसानों को 10 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
सरकार ने किसानों को अपने खेतों में नीलगिरी, बांस और अन्य प्रजाति के वृक्ष लगाने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिसकी बाजार में काफी डिमांड है, और किसानों को धान के मुकाबले काफी ज्यादा आमदनी होगी। मसलन, नीलगिरी कापेड़ खरीदने के लिए पेपर कंपनियां पहले ही किसानों से एग्रीमेंट कर लेती है, और 8 सौ रुपये प्रति क्विंटल भाव मिल जाता है। इसी तरह बांस और अन्य प्रजाति के वृक्षों की अच्छी डिमांड है।
सागौन की नई वैरायटी आ गई है, जो कि दस साल में कटाने लायक हो जाती है, और एक पेड़ की कीमत डेढ़ लाख से अधिक होती है। एक एकड़ में सैकड़ों वृक्ष लगाए जा सकते हैं। सरकार राजस्व और वन अधिनियम में संशोधन कर वृक्षों की कटाई के लिए नियमों को शिथिल कर रही है। यानी किसानों को अपने खेत में लगाए गए पेड़ों को काटने के लिए राजस्व या वन विभाग की अनुमति की जरूरत नहीं होगी। हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स राकेश चतुर्वेदी का मानना है कि वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना से राज्य में टिंबर उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।
वर्तमान में लकड़ी की कमी के चलते आधे से अधिक आरा मिल बंद है। इस योजना से बंद आरा मिल फिर से शुरू हो पाएंगी। राज्य शासन के आला अफसरों का मानना है कि मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना में फिलहाल बड़े किसान ही दिलचस्पी दिखा रहे हैं, और इस साल 5 हजार किसानों के पंजीयन की उम्मीद है। मगर आने वाले दिनों में छोटे किसानों की वृक्षारोपण योजना में भागीदारी होगी। इससे फसल चक्र भी परिवर्तन होगा।
सरकार धान के बदले अन्य फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। धान की प्रदेश में बंपर पैदावार होती है, और सरकारी खरीद होने के कारण हर साल हजारों करोड़ का घाटा भी हो रहा है। जोगी सरकार ने फसल चक्र परिवर्तन का नारा दिया था, और बिना ठोस विकल्प के कारण योजना आगे नहीं बढ़ पाई, लेकिन भूपेश सरकार की मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना लांच होने के बाद जिस तरह किसानों ने आगे बढक़र भागीदारी की है, उससे देर सबेर फसल चक्र परिवर्तन संभव होता दिखा रहा है।
वन पट्टा पर वनोपज उत्पादन के लिए भी.
सरकार आदिवासियों को आबंटित वन भूमि पर धान की जगह वनोपज लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। ऐसे आदिवासी किसानों को मुख्यमंत्री वृक्षारोपण योजना के जरिए 10 हजार रुपये प्रति एकड़ दी जाएगी, और वनोपज की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राज्य लघु वनोपज संघ करेगी। सरकार ने इस पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। जल्द ही कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया जा सकता है।